KHATU SHYAAM BABA: क्यों रिंगस से नंगे पांव चलकर बाबा को निशान चढ़ाते हैं भक्त?

KHATU SHYAAM BABA: क्यों रिंगस से नंगे पांव चलकर बाबा को निशान चढ़ाते हैं भक्त?

राजस्थान स्थित सीकर जिले में विश्व विख्यात खाटू श्याम मंदिर स्थापित है. बाबा श्याम के दर्शन पाने के लिए लोगों की लंबी कतारें लगी रहती हैं. सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी भक्त बाबा के दर्शन पाने के लिए राजस्थान आते है. खाटू श्याम बाबा को श्रीकृष्ण के रूप में भी पूजा जाता है. इसका कारण ये है कि द्वापर युग में अपने शीश की बलि देने के कारण श्री हरि ने इन्हें वरदान दिया था कि ये कलयुग में हारे का सहारा बनेंगे और खाटू श्याम बाबा के रूप में पूजे जाएंगें. साथ ही, दिन प्रतिदिन बाबा श्याम के भक्त बढ़ते चले जाएंगें. लेकिन क्या आप जानते है कि बाबा श्याम को झंडा रूपी निशान क्यों चढ़ाया जाता है? आइए जानते हैं.

सनातन धर्म में ध्वज को विजय का प्रतीक माना गया है. श्याम बाबा को सबसे बड़ा दानी कहा जाता है क्योंकि एक बार कहने पर ही धर्म की स्थापना के लिए उन्होंने अपने शीश भगवान कृष्ण के चरणों में अर्पित कर दिया था. उनके इस बलिदान के कारण बाबा को निशान चढ़ाया जाता है. जो की उनके विजय का प्रतीक है. इस कारण बाबा श्याम पर लाल, नीले, सफेद और केसरी रंग का झंडा चढ़ाया जाता है. इस झंडे पर श्री कृष्ण की फोटो और उनका मोरपंख छपा होता है.

कई भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर बाबा पर निशान चढ़ाते है. बाबा पर निशान चढ़ाने से पहले भक्त रिंगस से उस निशान को हाथ में पकड़े हुए नंगे पाव चलकर बाबा के दरबार पहुंचते हैं.