बलरामपुर जिले का प्रसिद्ध रामचौरा एक मनोरम स्थान है. बलरामपुर जिले का यह स्थान चारों ओर घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है. यहाँ पर पहाड़ी के बीचों-बीच एक कुंड भी मौजूद है. दुर्गम रास्तों से होकर पहाड़ी की इस चोटी पर श्रद्धालु पहुंचते हैं. पहाड़ी की ऊंची चोटी से अलग ही नजारा देखने को मिलता है. रामचौरा पहाड़ी तातापानी से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त के मौके पर पहाड़ी पर तिरंगा झंडा फहराया जाता है और भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है. इस दिन यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.
रामचौरा पहाड़ी पर चढ़ने के लिए सिर्फ पगडंडियों का रास्ता है. जहां चट्टानों के बीच से होकर पहाड़ी पर पहुंचा जा सकता है. जिसके कारण यहां दुर्घटना का भी काफी खतरा बना रहता है.

त्रेता युग में धोए जाते थे माता सीता के वस्त्र
यह स्थान घने जंगलों से घिरा हुआ है. यहां चारों तरफ पहाड़ दिखाई देते हैं. यहां पहाड़ी के बीच में एक कुंड भी मौजूद है. ऐसी मान्यता है कि इसी कुंड में भगवान राम और माता सीता के कपड़े धोए जाते थे.
रामचौरा पहाड़ी की पौराणिक मान्यताएं
रामचौरा पहाड़ी की पौराणिक मान्यता है कि त्रेतायुग में जब भगवान श्री राम अपने चौदह वर्षों के वनवास काल के दौरान माता सीता और प्रभु लक्ष्मण के साथ रामचौरा पहाड़ी पर आए थे, तब राम जी ने यहाँ धनुष से बाण चलाया. वह बाण तातापानी में जाकर गिरा. जिससे धरती में एक छेद हो गया और चमत्कारिक रूप से धरती से गर्म पानी निकलने लगा. कहा जाता है कि आज भी तातापानी में धरती से कुदरती गर्म पानी निकलता है.