कलयुग का प्रधान तीर्थ हरिद्वार, जानिए सतयुग और द्वापरयुग के कौन से थे तीर्थस्थल!

कलयुग का प्रधान तीर्थ हरिद्वार, जानिए सतयुग और द्वापरयुग के कौन से थे तीर्थस्थल!

हिंदू धर्म के सभी धार्मिक ग्रंथ वेद, पुराण और उपनिषद में कलयुग में हरिद्वार को प्रधान तीर्थ का दर्जा दिया गया है. जैसे सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग के प्रधान तीर्थों का वर्णन धार्मिक ग्रंथों, वेदों पुराणों, उपनिषदों में किया गया है, वैसे ही कलयुग के प्रधान तीर्थ हरिद्वार का भी विशेष तौर पर वर्णन किया गया है.

कलयुग का प्रधान तीर्थ हरिद्वार, जानिए सतयुग और द्वापरयुग के कौन से थे तीर्थस्थल!

इस कलयुग में हरिद्वार में गंगा स्नान करने से जहां सभी पाप खत्म होने की धार्मिक मान्यता है, वहीं मरने के बाद व्यक्ति की अस्थियां विसर्जित करने से उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. धार्मिक ग्रंथ स्कंद पुराण के केदारखंड में कलयुग के प्रधान तीर्थ का पूरा वर्णन विस्तार पूर्वक किया गया है.

सतयुग का प्रधान तीर्थ – “नैमिषारण्य”

कहा जाता है कि वेद, पुराण और उपनिषद में हर युग यानि कि सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग के प्रधान तीर्थों का वर्णन किया गया है. सतयुग का प्रधान तीर्थ लखनऊ में सीतापुर के पास स्थित नैमिषारण्य माना जाता है, त्रेतायुग का प्रधान तीर्थ राजस्थान में एकमात्र ब्रह्मा के मंदिर के पास स्थित बताया गया है, तो वहीं द्वापरयुग का प्रधान तीर्थ हरियाणा के कुरुक्षेत्र को कहा गया है.

कलयुग का प्रधान तीर्थ हरिद्वार, जानिए सतयुग और द्वापरयुग के कौन से थे तीर्थस्थल!

ऐसे ही वर्तमान में चल रहे कलयुग का प्रधान तीर्थ हरिद्वार का वर्णन भी वेदों और पुराणों में किया गया है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, हरिद्वार एक ऐसी तीर्थस्थली है जहां व्यक्ति के मात्र गंगा स्नान करने से उसके सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति के मरने के बाद उसकी अस्थियां हरिद्वार में ही विसर्जित करने से उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

यहां आने से मन को मिलती है शांति

आध्यात्मिक तौर पर हरिद्वार आने वाले हर व्यक्ति के मन को शांति मिलती है. यहां धर्म-कर्म या घूमने आने वाला हर व्यक्ति भगवान की भक्ति में लीन हो जाता है. देवासुर संग्राम में देवताओं और असुरों के बीच विष और अमृत को लेकर युद्ध छिड़ा था. तब हरिद्वार समेत चार जगहों पर अमृत की बूंदें गिरी थी. हरिद्वार में हर 12 साल बाद महाकुंभ का आयोजन होता है. इसलिए इसे हरि का द्वार (भगवान का द्वार) कहा जाता है. हिंदू धर्म में हरिद्वार का विशेष महत्व है.