किस वजह से रावण ने शनिदेव को बनाया था अपना बंदी? किसने छुड़ाया रावण के कैद से शनिदेव को?

किस वजह से रावण ने शनिदेव को बनाया था अपना बंदी? किसने छुड़ाया रावण के कैद से शनिदेव को?

रावण…रावण नाम से आज हर कोई अच्छे से सचेत है. त्रेतायुग में घटित रामायण को तो हर कोई जानता है. रावण के बिना रामायण नहीं होती. राक्षस और क्षत्रीय के कुल में जन्म लेने के कारण रावण को ब्रह्मराक्षस का दर्जा दिया जाता था. रावण इतना बलशाली था कि उसने समस्त 9 ग्रहों पर अपना कब्जा कर रखा था. अहंकारी, धनवानी, विद्वान, बुद्धिमान, ज्ञानी, अभिमानी जैसे शब्द रावण को चित्रित करते है. परंतु महाज्ञानी रावण भगवान शिव का परम भक्त भी था. लेकिन क्या आप जानते है कि रावण ने नौ ग्रहों को भी अपने वश में कर रखा था. जिसमें से एक थे शनिदेव. आइए जानते है कि शनिदेव को रावण की कैद से किसने छुड़ाया था.

कहा जाता है कि सभी देवी-देवताओं को कोई-न-कोई दिन समर्पित होता है. ऐसे ही शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है. कहा जाता है कि शनिदेव को प्रसन्न करने से जितना अच्छा फल वो देते है, उससे ज्यादा उनकी कू दृष्टि होती है, जो मनुष्य के लिए काफी खतरनाक होती है. धर्मग्रथों के मुताबिक, जब रावण का पुत्र मेघनाथ जन्म लेने वाला था, तो रावण चाहता था कि उसके जन्म के दौरान सभी ग्रहों की स्थिति अच्छी हो. जिससे उसके पुत्र पर उनके सकारात्मक प्रभाव पड़े. इस कारण रावण ने सभी ग्रहों को अपने बल से मना लिया था. लेकिन शनि अपने नियम के अनुसार ही चल रहे थे.

किस वजह से रावण ने शनिदेव को बनाया था अपना बंदी? किसने छुड़ाया रावण के कैद से शनिदेव को?

इस बात को लेकर रावण ने शनिदेव को चेतावनी देते हुए कहा कि उसके पुत्र के जन्म के दौरान उसकी आज्ञानुसार शनि देव को शुभ स्थिति रखनी होगी. परंतु रावण की इस बात को ठुकराते हुए शनिदेव ने उसकी एक न सुनी. जिससे रावण का पुत्र अल्पायु को प्राप्त हुआ. इससे क्रोध में आकर रावण ने शनिदेव को अपने कारावास में डालकर उन्हें उल्टा लटका दिया.

हनुमान बनें शनिदेव का सहारा-

इन सबके बाद बजरंगबली ऐसे भगवान थे जिन्होंने शनिदेव को रावण की कैद से छुड़ाया था. पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब हनुमान श्रीराम का संदेश लेकर माता सीता को खोजते हुए लंका पहुंचे, तो उन्होंने रावण के बंदीग्रह में शनिदेव को उल्टा लटका देख उन्हें उस कैद से बाहर निकाला और रावण की सोने की लंका जला डाली.

हनुमान से प्रसन्न होकर शनिदेव ने उन्हें वरदान दिया कि अबसे शनिवार के दिन उनके साथ हनुमान जी को भी पूजा जाएगा. यही एक कारण है जिस वजह से हनुमान को मंगलवार के साथ शनिवार का दिन भी समर्पित है. आज जो भी कोई मनुष्य इस दिन हनुमान को पूजते है, उससे प्रसन्न होकर शनिदेव उसे वरदान अवश्य देते है.