Bagalamukhi Jayanti 2024: बगलामुखी जयंती के दिन सच्चे मन से करें पूजा, जीवन में होगा कल्याण

बगलामुखी जयंती

Bagalamukhi Jayanti 2024: हिंदू धर्म में बगलामुखी जयंती का खास महत्व है। इस दिन मां बगलामुखी की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि मां बगलामुखी दुर्गा माता की 10 महाविद्याओं में एक है। कहते हैं कि जो भक्त इस दिन उपवास रखता है और सच्चे मन से मां बगलामुखी की पूजा करता है, उनको धन वैभव की प्रप्ति होती है।

कहा जाता है कि इस दिन मां बगलाममुखी की चालीसा पढ़ना बेहद फलदायी माना जाता है। इस साल बगलामुखी जयंती 15 मई, 2024 को मनाई जाएगी।

।।बगलामुखी चालीसा।।

॥ दोहा ॥

सिर नवाइ बगलामुखी,

लिखूं चालीसा आज ॥

कृपा करहु मोपर सदा,

पूरन हो मम काज ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय श्री बगला माता ।

आदिशक्ति सब जग की त्राता ॥

बगला सम तब आनन माता ।

एहि ते भयउ नाम विख्याता ॥

शशि ललाट कुण्डल छवि न्यारी ।

असतुति करहिं देव नर-नारी ॥

पीतवसन तन पर तव राजै ।

हाथहिं मुद्गर गदा विराजै ॥ 4 ॥

तीन नयन गल चम्पक माला ।

अमित तेज प्रकटत है भाला ॥

रत्न-जटित सिंहासन सोहै ।

शोभा निरखि सकल जन मोहै ॥

आसन पीतवर्ण महारानी ।

भक्तन की तुम हो वरदानी ॥

पीताभूषण पीतहिं चन्दन ।

सुर नर नाग करत सब वन्दन ॥ 8 ॥

एहि विधि ध्यान हृदय में राखै ।

वेद पुराण संत अस भाखै ॥

अब पूजा विधि करौं प्रकाशा ।

जाके किये होत दुख-नाशा ॥

प्रथमहिं पीत ध्वजा फहरावै ।

पीतवसन देवी पहिरावै ॥

कुंकुम अक्षत मोदक बेसन ।

अबिर गुलाल सुपारी चन्दन ॥ 12 ॥

माल्य हरिद्रा अरु फल पाना ।

सबहिं चढ़इ धरै उर ध्याना ॥

धूप दीप कर्पूर की बाती ।

प्रेम-सहित तब करै आरती ॥

अस्तुति करै हाथ दोउ जोरे ।

पुरवहु मातु मनोरथ मोरे ॥

मातु भगति तब सब सुख खानी ।

करहुं कृपा मोपर जनजानी ॥ 16 ॥

त्रिविध ताप सब दुख नशावहु ।

तिमिर मिटाकर ज्ञान बढ़ावहु ॥

बार-बार मैं बिनवहुं तोहीं ।

अविरल भगति ज्ञान दो मोहीं ॥

पूजनांत में हवन करावै ।

सा नर मनवांछित फल पावै ॥

सर्षप होम करै जो कोई ।

ताके वश सचराचर होई ॥ 20 ॥

तिल तण्डुल संग क्षीर मिरावै ।

भक्ति प्रेम से हवन करावै ॥

दुख दरिद्र व्यापै नहिं सोई ।

निश्चय सुख-सम्पत्ति सब होई ॥

फूल अशोक हवन जो करई ।

ताके गृह सुख-सम्पत्ति भरई ॥

फल सेमर का होम करीजै ।

निश्चय वाको रिपु सब छीजै ॥ 24 ॥

गुग्गुल घृत होमै जो कोई ।

तेहि के वश में राजा होई ॥

गुग्गुल तिल संग होम करावै ।

ताको सकल बंध कट जावै ॥

बीलाक्षर का पाठ जो करहीं ।

बीज मंत्र तुम्हरो उच्चरहीं ॥

एक मास निशि जो कर जापा ।

तेहि कर मिटत सकल संतापा ॥ 28 ॥

घर की शुद्ध भूमि जहं होई ।

साध्का जाप करै तहं सोई ॥

सेइ इच्छित फल निश्चय पावै ।

यामै नहिं कदु संशय लावै ॥

अथवा तीर नदी के जाई ।

साधक जाप करै मन लाई ॥

दस सहस्र जप करै जो कोई ।

सक काज तेहि कर सिधि होई ॥ 32 ॥

जाप करै जो लक्षहिं बारा ।

ताकर होय सुयशविस्तारा ॥

जो तव नाम जपै मन लाई ।

अल्पकाल महं रिपुहिं नसाई ॥

सप्तरात्रि जो पापहिं नामा ।

वाको पूरन हो सब कामा ॥

नव दिन जाप करे जो कोई ।

व्याधि रहित ताकर तन होई ॥ 36 ॥

ध्यान करै जो बन्ध्या नारी ।

पावै पुत्रादिक फल चारी ॥

प्रातः सायं अरु मध्याना ।

धरे ध्यान होवैकल्याना ॥

कहं लगि महिमा कहौं तिहारी ।

नाम सदा शुभ मंगलकारी ॥

पाठ करै जो नित्या चालीसा ।

तेहि पर कृपा करहिं गौरीशा ॥ 40 ॥

॥ दोहा ॥

सन्तशरण को तनय हूं,

कुलपति मिश्र सुनाम ।

हरिद्वार मण्डल बसूं ,

धाम हरिपुर ग्राम ॥

उन्नीस सौ पिचानबे सन् की,

श्रावण शुक्ला मास ।

चालीसा रचना कियौ,

तव चरणन को दास ॥