पश्चिम बंगाल में छत पर स्थित मां तारा का बेहद अपरंपारी मंदिर!

पश्चिम बंगाल में छत पर स्थित मां तारा का बेहद अपरंपारी मंदिर!

भारत को धर्मों का देश माना गया है. मंदिर इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है. भारतीय सभ्यता में मंदिरों का स्थान और महत्व काफी ऊंचा है. भारत में सभी देवी-देवताओं के लाखों मंदिर है. सभी मंदिरों का अपना काफी प्राचीन इतिहास है. लेकिन आज हम जिस मंदिर की बात कर रहें है, वो ज्यादा पुराना या ऐतिहासिक नहीं है.

माता पार्वति के स्वरूप तारा देवी का ये मंदिर पश्चिम बंगाल के साथ-साथ झारखंड के कोयलांचल में भी स्थित है. इस मंदिर में माता के दर्शन पाने के लिए भक्त माता के दर दूर-दूर से आते है. बाकी मंदिरों की तरह ये मंदिर विशाल और भव्य नहीं है. लेकिन उनसे अनोखा जरूर है. ये मंदिर झारखंड स्थित धनबाद के हाउसिंग कॉलोनी में एक घर की छत पर बना हुआ है. जिसकी महिमा काफी अपरंपार है.

पश्चिम बंगाल में छत पर स्थित मां तारा का बेहद अपरंपारी मंदिर!

माता के इस मंदिर तारा देवी के साथ 7 अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा भी यहां विराजमान है. इस मंदिर की स्थापना 13 साल पहले यानी 2011 के आसपास ही हुई है. इस मंदिर के पुजारी का कहना है कि पश्चिम बंगाल में उनका बचपन मां तारा की छांव में ही बीता है. वो उनकी पूजा-अर्चना किया करते थे. उन्होंने ये कहते हुए बताया कि एक बार मां तारा ने उन्हें सपने में दर्शन दिए और मां ने पुजारी से कहा कि उनका अलग से मंदिर बनवाकर उनकी पूजा करो. मां के इच्छानुसार ही उस पुजारी ने माँ का एक मंदिर बनाने की पहल की.

लेकिन मंदिर बनाने के लिए ज़मीन की जरूरत थी. कहीं ज़मीन न मिलने पर आखिर हाउसींग कॉलोनी में प्लॉट नं 76 में रहने वाली प्रेमशिला देवी नाम की एक महिला अपने घर की छत पर माता का मंदिर बनवाने को तैयार हो गई. जिसके बाद मंदिर का निर्माण उनके घर की छत पर ही हुआ.

इस मंदिर की स्थापना 13 वर्ष पहले ही हुई है. मंदिर के निर्माण के समय प्रेमशिला देवी 23 माह तक बिना अन्न के फलाहार पर ही थी. मंदिर का कार्य़ पूरा होने पर मां तारा की प्रतिमा वहां स्थापित की गई. और आज इस मंदिर की महिमा इतनी अपरंपार है कि दूर दराज से भी लोग यहां मां के आशीर्वाद के लिए आते हैं.