विवाह के दौरान दुल्हे के बाई हाथ की ओर ही क्यों बैठती है दुल्हन?

विवाह के दौरान दुल्हे के बाई हाथ की ओर ही क्यों बैठती है दुल्हन?

हिंदू धर्म में विवाह को एक पवित्र बंधन माना गया है. विवाह के दौरान दूल्हा-दुल्हन परिवार और रिश्तेदारों के साथ-साथ अग्नि को साक्षी मांग कर एक-दूसरे के साथ जीवनभर रहने का संकल्प लेते हैं. विवाह केवल दो व्यक्ति यानी की दूल्हा-दुल्हन के संगम का ही संस्कार नहीं, बल्कि ये दो परिवारों का मेल हैं. विवाह कई धार्मिक मुल्यों से जुड़ा है. इसे जीवन की नई शुरूआत माना गया है.

विवाह के दौरान दुल्हे के बाई हाथ की ओर ही क्यों बैठती है दुल्हन?

विवाह में कई तरह की रस्में और रीति-रिवाज़ें होते हैं. शादी के दौरान काफी बातों का ध्यान रखा जाता है. जिससे शादी के दौरान या शादी के बाद दूल्हा-दुल्हन के बीच में कोई अड़चन न आए. उन कुछ मान्यताओं में से एक मान्यता ये भी है कि विवाह के दौरान दुल्हन दूल्हे के बाईं ओर ही बैठती है. आइए जानते है इसके पीछे की पौराणिक कथाएं.

दुल्हन को दूल्हे के बाईं ओर बैठने के पीछे का कारण ये माना जाता है कि वे हमेशा अपने पति के हृदय के नज़दीक ही रहे. इसके अलावा ये भी मान्यता है कि दाया हाथ शक्ति और कर्तव्य का प्रतीक है. वहीं बाया हाथ प्रेम का प्रतीक है. ऐसे में दुल्हन का दाया हाथ और दुल्हन का बाया हाथ इन सब चीजों को पूर्ण करते हैं. जिससे दोनों के बीच प्रेम और समझदारी बनी रहती है.

विवाह के दौरान दुल्हे के बाई हाथ की ओर ही क्यों बैठती है दुल्हन?

शास्त्रों के मुताबिक, धन-समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के बाईं ओर ही बैठती हैं. इसलिए शादी में भी दुल्हन को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. वहीं दूल्हे को भगवान विष्णु का. इसलिए इस प्रथा को माना जाता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि आए.