क्यों नहीं की जाती सृष्टि के रचयीता ब्रह्मा की पूजा?

क्यों नहीं की जाती सृष्टि के रचयीता ब्रह्मा की पूजा?

हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना के लिए अपने खास दिन माने जाते है. भगवान के सबसे महत्वपूर्ण तीन स्वरूप माने जाते है. जो मिलकर इस संपूर्ण सृष्टि को संभालते है. ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचयिता माना जाता है. तो वहीं भगवान विष्णु को उसका पालनहार कहा जाता है. भगवान शिव को सृष्टि का संहार करने वाला कहा जाता है. भगवान शिव की तो हर कोई उपासना करता है. देश में काफी बड़े-बड़े शिव भक्त है. भगवान विष्णु और उनके अलग-अलग स्वरूपों को भी पूजा जाता है. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि भगवान ब्रह्मा को क्यों नहीं पूजा जाता है. देश-दुनिया में कितने लाखों मंदिर है. लेकिन ब्रह्म देव का कहीं स्थान नहीं. ऐसा क्यों?

क्यों नहीं की जाती सृष्टि के रचयीता ब्रह्मा की पूजा?

पौराणिक कथा-

पौराणिक कथाओं के मुताबिक सृष्टि के कल्याण के लिए भगवान ब्रह्मा ने एक बार यज्ञ की योजना बनाई थी. इस यज्ञ के लिए जगह ढूंढने के लिए ब्रह्मा जी ने अपने एक कमल को पृथ्वी पर भेजा. वो कमल पृथ्वी पर राजस्थान के पुष्कर में गिरा. जिसके बाद उस जगह पर ब्रह्मा जी के नाम पर उनका मंदिर और तलाब का निर्माण कर दिया गया.

उस जगह को यज्ञ के लिए भी चुना गया. यज्ञ को शुभ मुहुर्त पर शुरू करना था. सब देवता यज्ञ के स्थान समय से पहुंच गए. लेकिन ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री समय से नहीं पहुँची. जिसके बाद ब्रह्म देव ने नंदिनी गाय के मुख से गायत्री को प्रकट कर उनसे विवाह करके यज्ञ को पूरा किया.

क्यों नहीं की जाती सृष्टि के रचयीता ब्रह्मा की पूजा?

सावित्री देवी ने दिया ब्रह्मा जी को श्राप

कुछ देर बाद जब सावित्री देवी यज्ञ स्थान पर पहुँची, तब ब्रह्मा जी के साथ एक स़्त्री को बैठा देख वे क्रोधित हो उठी और क्रोध में आ उन्होंने ब्रह्मा जी को उनको न पूजा जाने के लिए श्राप दे दिया. इस श्राप के बाद सब देवताओं ने देवी से उनका दिया शाप वापिस लेने का अनुरोध किया.

थोड़ी देर बाद माता का गुस्सा शांत हुआ तो उन्होंने कहा की जो भी ब्रह्म देव को पूजेगा उसका विनाश होगा. लेकिन केवल पुष्कर में इस मंदिर में ब्रह्म देव को पूज सकते है.