भोलेनाथ को देवों के देव महादेव के नाम से जाना जाता है. वह देवों में सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देव हैं. भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र चढ़ाना काफी शुभ माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बेलपत्र के अलावा बेल के पेड़ की जड़ की पूजा करने का भी उतना ही महत्व है.

सावन में भगवान शिव की पूजा का काफी महत्व माना जाता है. ऐसे में कहा जाता है कि शिव महापुराण के 22वें अध्याय में इस बात की व्याख्या है कि बेल का वृक्ष महादेव का स्वरूप है. संसार के सभी तीर्थ बेल के वृक्ष में निवास करते हैं.
बिल्व पेड़ को पूजने से मिलता है पुण्य
बेल के वृक्ष की जड़ में महादेव का सांकेतिक निवास है. जिसको लिंग रूप कहते हैं. कहा जाता है कि जो भी मनुष्य बिल्व पेड की जड़ को गंध आदि से पूजता है, वह शिव लोक को जाता है. बिल्व की जड़ में दीपक जलाने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं. बेल के नीचे शिव भक्तों को भोजन कराना शुभ माना जाता है. यदि आप एक ब्राह्मण को बेल के वृक्ष के नीचे खाना खिलाते हैं, तो यह एक हजार ब्राह्मणों को खाना खिलाने के बराबर माना जाता है.

बेलपत्र में होता है भगवान के तीन स्वरूपों का निवास
बेलपत्र में तीन पत्तियां होती हैं. इन्हीं तीन पत्तियों को शास्त्रों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का प्रतीक माना जाता है और यह तीनों एक डोर से जुड़े हुए होते हैं. इस तरह से यह भी मान्यता है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीन अलग-अलग स्वरूप है, लेकिन माना इन्हें एक ही जाता है. बेलपत्र दिखने में तिकोना होता है.