मृत्यु के बाद इन पड़ावों से गुज़रती है मनुष्य की आत्मा!

मृत्यु के बाद इन पड़ावों से गुज़रती है मनुष्य की आत्मा!

हिंदु धर्म के 16 बड़े पुराणों में से एक है गरुड़ पुराण. जिसके मुख्य देवता भगवान विष्णु को माना जाता है. क्योंकि गरुड़ भगवान विष्णु के वाहन माने जाते है. गरुड़ पुराण में उन बातों का उल्लेख है, जो भगवान विष्णु और उनके वाहन के बीच हुई थी. भगवान विष्णु से उनके प्रिय वाहन गरुड़ ने कई सारे ऐसे प्रश्न किए थे, जिनका जानना हर आम मनुष्य के लिए जरूरी है. गरुड़ पुराण एक तरह से विष्णु पुराण का ही भाग है. इस पुराण के अंदर इंसान की मृत्यु से लेकर उसके जीवन के दौरान कर्मों के फल तक का पूरा लेखा-जोखा है.

मृत्यु के बाद इन पड़ावों से गुज़रती है मनुष्य की आत्मा!

गरुड़ पुराण में इस बात का ज़िक्र किया गया है कि व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल भोगना पड़ता है. अगर व्यक्ति के कर्म अच्छे हो, तो गरुड़ पुराण के मुताबिक उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है. लेकिन अगर मनुष्य के कर्म बुरे है, तो उसको नर्क की प्राप्ति होती है. जिसमें उसे काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं, इस पुराण में आत्माओं की अलग-अलग दशाओं का भी संक्षिप्त में विवरण किया है. इसमें कहा गया है कि मनुष्य के मरने के बाद उसकी आत्मा देह त्याग कर शरीर बदल लेती है. काफी लोग ऐसे है जिनके मन में ये ख्याल आते है कि मृत्यु के बाद इंसान की आत्मा कितने कैसे और दिनों में शरीर बदलती है. इन सभी के उत्तर गरुड़ पुराण में मिलते है.

मृत्यु के बाद इंसान की आत्मा के साथ क्या होता है?

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गरुड़ पुराण में ये बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा मनुष्य का शरीर त्यागते ही सबसे पहले यमलोक जाती है. यमलोक जाने के बाद यमदूत आत्मा को करीब 24 घंटों तक अपने साथ रखते है और वे उस व्यक्ति के कर्मों का ब्योरा करते है. 24 घंटे पूरे होते ही आत्मा वापिस से 13 दिनों के लिए अपने परिजनों के पास जाती है. फिर ये 13 दिन भी पूरे होने के बाद आत्मा वापिस से यमलोक में प्रस्थान करती है.

गरुड़ महापुराण में कहा गया है कि 13 दिन बाद आत्मा जब यमलोक जाती है, तो उस दौरान उसे स्वर्ग लोक, नर्क लोक और पितृ लोक जैसे तीन मार्गों से गुजरना पड़ता है. अपने कर्मों के आधार पर ही उस आत्मा को इन तीनों में से किसी लोक में जगह मिलती है.

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मृत्यु के बाद 13 दिनों तक होता गरुड़ पुराण का पाठ

कहा जाता है कि गरुड़ महापुराण के पाठ से आत्मा को शांति मिलती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए मृत्यु के उपरांत 13 दिनों तक आत्मा अपने परिजनों के साथ गरुड़ पुराण के पाठ को सुनती है.  

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