भगवान शिव के भक्त कैसे बने अघोरी? अघोरी का अर्थ क्या होता है?

भगवान शिव के भक्त कैसे बने “अघोरी”

अघोरी लोग शिव जी के बड़े भक्त माने जाते हैं। ये आम इंसानों की तरह नहीं रहते और न ही उनके बीच रहते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये अघोरी क्यों बनते हैं? शिव की भक्ति के और भी कई तरीके हैं। फिर ये अघोरी बनकर इस तरह की पूजा क्यों करते हैं? इन शिव भक्तों को अघोरी कहा जाने का कारण क्या है?

अघोरी कौन होते हैं?

ज्यादातर लोग समझते हैं कि अघोर विद्या बहुत डरावनी होती है लेकिन सच में ऐसा नहीं है। इसका सिर्फ बाहरी रूप ही डराने वाला है। “अघोर” का मतलब है ‘घोर न होना’, यानी कि किसी भी जटिलता से दूर रहकर सादा जीवन जीना। जो लोग किसी भी तरह के भेदभाव से मुक्त होते हैं और उन्हें अघोर कहा जाता है। आम लोग जिन चीजों से डरते हैं या जिनसे वो भेदभाव करते हैं, अघोरी वही चीजें करते हैं। ये भी कहा जाता है कि अघोरी कच्चा और सड़ा हुआ मांस खाते हैं।

उनका मानना है कि इस दुनिया में कोई भी चीज़ सही या गलत नहीं होती। कोई भी इंसान तब अघोरी बन सकता है जब उसके दिल में किसी भी तरह की नफरत न हो। अघोरी के मन में अच्छे और बुरे, प्यार और नफरत, खुशबू और बदबू जैसी कोई भावना नहीं होती। उनके मन में बस एक ही भावना होती है और वो है भगवान शिव के प्रति भक्ति।

भगवान शिव के भक्त कैसे बने “अघोरी”

शमशान घाट में रहते है ‘अघोरी’

‘अघोरी’ वो लोग हैं जो ऋषि-मुनियों की एक खास बिरादरी से हैं और ये शमशान घाट में काली रात में रहते हैं। शमशान घाट वो जगह है जहां रात के अंधेरे में जाने से हर कोई डरता है, लेकिन वहाँ रहने वाले इन बाबाओं को हम अघोरी कहते हैं। ये लोग अक्सर राख में लिपटे होते हैं और उनके लंबे-लंबे बाल होते हैं। उनके गले में हड्डियों की माला होती है। अघोरी आम लोगों के बीच नहीं रहते हैं और इसलिए इनका जीवन भी बहुत अलग और अनोखा होता है।

ये लोग अघोरी क्यों बनते हैं?

इन शिव भक्तों के अघोरी बनने के पीछे एक पुरानी कहानी है। एक बार भगवान शिव और उनके ससुर राजा दक्ष एक सभा में गए थे जहां एक यज्ञ का आयोजन किया गया था। जब राजा दक्ष वहां आए तो सभा में मौजूद सभी राजा और देवता उनके सम्मान में खड़े हो गए। लेकिन ब्रह्मदेव और भगवान शिव अपनी जगह पर बैठे रहे। यह देखकर राजा दक्ष बहुत नाराज हो गए। उन्होंने सोचा कि ब्रह्मदेव तो उनके पिता की तरह हैं लेकिन शिव उनके बेटी के पति हैं तो शिव को तो खड़ा होना चाहिए था। इस गुस्से में आकर राजा दक्ष ने भगवान शिव को श्राप दिया कि अब से शिव कभी भी किसी यज्ञ का हिस्सा नहीं बनेंगे। ऐसा कहकर राजा दक्ष उस सभा से चले गए।

भगवान शिव तो हमेशा शांत रहते हैं लेकिन उनके वाहन नंदी ने सभा में मौजूद सभी देवताओं पर गुस्से में आकर श्राप दे दिया। उन्होंने कहा, “तुम सब बिना ज्ञान के हो जाओगे और घर-घर जाकर भिक्षा मांगोगे।” यह सुनकर ऋषि-मुनियों को भी गुस्सा आ गया। उन्होंने श्राप दिया कि जो भी भगवान शिव की भक्ति करेगा उसे सभी धर्म और वेद शास्त्रों के खिलाफ पाखंडी कहा जाएगा। वो लोग अपने शरीर पर भस्म लगाएंगे और लंबी जटा रखेंगे तथा मांस और शराब का सेवन करेंगे। दुनिया से दूर शमशान घाट में रहेंगे। इसी वजह से भगवान शिव के भक्तों को अघोरी कहा जाने लगा।