इतिहासकारों के अनुसार मौर्य साम्राज्य की स्थापना में आचार्य चाणक्य ने अहम भूमिका निभाई थी। साथ ही मौर्य साम्राज्य का विस्तार भी किया। आचार्य चाणक्य को कौटिल्य भी कहा जाता है। आचार्य चाणक्य ने अपनी रचना नीति शास्त्र (अर्थशास्त्र ) में व्यक्ति के गुणों एवं अवगुणों पर प्रकाश डाला है। नीति शास्त्र में बताया गया है कि धरती पर जीवन भर दुख भोगने वाले में तीन अवगुण पाए जाते हैं।
1.अवैध तरीके से धन अर्जित करना
आचार्य चाणक्य ने अपनी रचना नीति शास्त्र के नौवें अध्याय के 11वें श्लोक में कहते हैं- धरती पर दुख भोगने या काल की गति प्राप्त करने वाले लोग प्रातः काल समय में धन प्राप्ति हेतु गलत कार्य करते हैं। इसके लिए वे अवैध तरीके से धन अर्जित करते हैं और ऐसे लोग जीवन भर दुखी रहते हैं। इसके आगे आचार्य कहते हैं कि दिन के समय में व्यक्ति को कर्म करना चाहिए। कई लोग इस दौरान प्रेम प्रसंग में रत रहते हैं। ऐसे लोग भी जीवन में कभी उन्नति नहीं कर पाते हैं। अंत में चाणक्य कहते हैं कि रात के समय में अवैध तरीके या चोरी कर धन अर्जन करने वाले लोग भी जीवन भर दुखी रहते हैं। ऐसे लोग धरती पर अवश्य ही दुख भोगते हैं।
2.अहंकार
चाणक्य नीति कहती है कि अहंकार या घमंड में रहने वाला व्यक्ति अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मारता है। चाणक्य कहते हैं कि घमंड में डूबा इंसान सदा गुस्से में रहता है और वह खुद को सबसे ऊपर समझता है. चाणक्य नीति के अनुसार पद और पैसा जैसी सुविधाएं आज है कल नहीं और जब व्यक्ति इस नशे से बाहर आता है, तो वह पूरी तरह बर्बाद हो जाता है।
3.झूठ बोलना
चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति झूठ बोलने का आदी होता उसे एक न एक दिन सजा भुगतनी ही पड़ती है। लोग अपने फायदे के लिए झूठ बोलने जैसे अवगुण को अपना लेते हैं। शुरू में सब अच्छा लगता है पर सच सामने आने पर चीजें बहुत बिगड़ भी जाती है। इस आदत से जितना दूर रहा जाए उतना बेहतर होता है।
चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे चाण्क्य
चाणक्य (अनुमानतः 376 ई॰पु॰ – 283 ई॰पु॰) चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे कौटिल्य या विष्णुगुप्त नाम से भी विख्यात हैं। चणक नामक व्यक्ति के पुत्र होने के कारण वह चाणक्य कहे गए। विष्णुगुप्त कूटनीति, अर्थनीति, राजनीति के महान विद्वान ,और अपने महाज्ञान का ‘कुटिल’ ‘सदुपयोग ,जनकल्याण तथा अखण्ड भारत के निर्माण जैसे सृजनात्मक कार्यों में करने के कारण वह ‘कौटिल्य’ कहलाये।
मेहनत का फल देर से ही सही, लेकिन मिलता जरूर है
आचार्य चाणक्य के अनुसार किताबी ज्ञान हो या किसी काम को करने का अनुभव, व्यक्ति का ज्ञान कभी बेकार नहीं जाता। ज्ञानी व्यक्ति अपने जीवन में कभी असफल नहीं होता। व्यक्ति अपनी मेहनत के दम पर हर असंभव चीज को भी संभव करके दिखा सकता है। व्यक्ति को अपनी कड़ी मेहनत का फल देर-सवेर, लेकिन जरूर मिलता है।