Shani Dev: जीवन में परेशानियों से पाना है निजात, रोजाना करें शनि देव की पूजा

शनि देव की पूजा

Shani Mahadasha ke Upay: कहा जाता है कि जब राजा दशरथ के राज्य में अकाल पड़ा था, तब उन्होंने शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनि स्त्रोत की रचना की थी. ऐसे में रोज शनि स्त्रोत का पाट करने से महादशा के बुरे परिणामों से बचा जा सकता है। कहा जाता है कि यदि आप शनि स्त्रोत रोज नहीं पढ़ सकते हैं, तो इसका ऑडियो या वीडियो को सुन या देख भी सकते हैं।

रोजाना शनिदेव की पूजा कैसे करें

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • अपने घर के पूजा स्थान में शनिदेव की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • शनिदेव को जल, दूध, तिल का तेल, काले तिल, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें।
  • शनिदेव के मंत्रों का जाप करें।
  • शनि चालीसा का पाठ करें और शनिदेव की आरती करें।
  • शनिदेव से अपनी मनोकामनाएं प्रार्थना करें।

शनि स्तोत्रम

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।

नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।।

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।

नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।

नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।।

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:।

नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।

सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च।।

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।

नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते।।

तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।

नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।

तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।

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देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।

त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।।

प्रसाद कुरु मे सौरे वारदो भव भास्करे।

एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:।।