Marriage Mantra: हिंदू धर्म में गुरुवार भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। इस दिन व्रत और पूजा विधिपूर्वक की जाती है। ऐसा करने से अविवाहित लड़कियों के विवाह का योग जल्दी बनता है। यदि कुंडली में गुरु और शुक्र ग्रह कमजोर होते हैं, तो इससे शादी में मुश्किलें आती हैं। कुछ अन्य ग्रहों के प्रभाव भी विवाह में बाधा डाल सकते हैं।
इसलिए कुंडली के दोषों को दूर करना बहुत जरूरी है। अगर आपको शादी में कोई समस्या आ रही है या विवाह टूट रहा है, तो पूजा के समय खास मंत्रों का जाप करना चाहिए। इन मंत्रों का जाप करने से विवाह के योग जल्दी बनते हैं।
हिंदू धर्म में विवाह संस्कार को सोलह संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। इसे केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं बल्कि दो आत्माओं का आध्यात्मिक और सामाजिक गठबंधन माना जाता है। विवाह हिंदू धर्म में केवल एक सांसारिक बंधन नहीं बल्कि धार्मिक और नैतिक जिम्मेदारियों से जुड़ा एक पवित्र संस्कार है।
विवाह संस्कार का महत्व
- धार्मिक महत्व – हिंदू शास्त्रों में विवाह को एक धार्मिक अनुष्ठान माना गया है, जो व्यक्ति को अपने गृहस्थ जीवन की ओर ले जाता है। यह एक ऐसा बंधन है, जिसमें पति-पत्नी मिलकर धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति कर सकते हैं।
- सामाजिक महत्व – विवाह परिवार और समाज को एकजुट रखने का आधार है। यह दो परिवारों के बीच संबंध मजबूत करता है और सामाजिक संतुलन बनाए रखता है।
- नैतिक और कर्तव्यबोध – विवाह पति-पत्नी को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की याद दिलाता है, जैसे – परिवार का पालन-पोषण, संतानोत्पत्ति और समाज के प्रति दायित्वों का निर्वहन।
- संस्कृति और परंपरा – हिंदू विवाह संस्कार विभिन्न रीति-रिवाजों और मंत्रों से संपन्न होता है, जिनमें सप्तपदी (सात फेरे) सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यह संस्कार पति-पत्नी को सात जन्मों तक साथ निभाने का वचन देता है।
- आध्यात्मिकता और ईश्वरीय आशीर्वाद – विवाह में अग्नि को साक्षी मानकर मंत्रों के साथ विधिपूर्वक विवाह संपन्न किया जाता है, जिससे यह केवल सांसारिक ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक बंधन भी बन जाता है।
Marriage Mantra: शीघ्र विवाह के मंत्र
- ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रिय भामिनि।
विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रलाभं च देहि मे ॥
- ॐ शं शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंस नाय पुरुषार्थ
चतुस्टय लाभाय च पतिं मे देहि कुरु-कुरु स्वाहा ।।
- हे गौरी शंकरार्धांगि । यथा त्वं शंकरप्रिया ।|
तथा माँ कुरु कल्याणि । कान्त कांता सुदुर्लभाम्।।
- ॐ कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीस्वरि ।
नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः ।।
- मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
- शांताकारम भुजङ्गशयनम पद्मनाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।
- क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा
- ॐ सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा
- ॐ श्रीं वर प्रदाय श्री नमः
- ॐ बृं बृहस्पतये नम:
ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:
ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:
ॐ गुं गुरवे नम: