Chaitra Purnima 2024: चैत्र पूर्णिमा पर गंगा स्नान से खत्म होते हैं सभी पाप, भगवान विष्णु के 108 नामों का करें जाप

चैत्र पूर्णिमा

Chaitra Purnima 2024: सनातन धर्म में पूर्णिमा के दिन दान, स्नान समेत पूजा के साथ-साथ जप-तप और दान-दक्षिणा करने का विधान है। बता दें कि चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से अनजाने में किए गए सभी पाप मिट जाते हैं।

अतः चैत्र पूर्णिमा पर साधक प्रातः काल से गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाकर भगवान विष्णु की पूजा कर रहे हैं। अगर आप भी चाहते हैं कि भगवान विष्णु की कृपा आपके ऊपर बनी रहे, तो आप भी चैत्र पूर्णिमा तिथि पर गंगाजल से स्नान-ध्यान करें। इसके बाद विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करें।

भगवान विष्णु के 108 नाम

ॐ कामरूपाय स्वाहा
ॐ रसाक्ताय स्वाहा
ॐ रसी-रासकृते स्वाहा
ॐ राधिकेशाय स्वाहा
ॐ महामोहदाय स्वाहा
ॐ मानिनीमानहारिणे स्वाहा
ॐ विहारीवराय स्वाहा
ॐ मानहृताय स्वाहा
ॐ राधिकांगाय स्वाहा
ॐ धराद्वीपगाय स्वाहा
ॐ खण्डचारिणे स्वाहा
ॐ वनस्थाय स्वाहा
ॐ प्रियाय स्वाहा
ॐ अष्टवक्रर्षिद्रष्ट्रे स्वाहा
ॐ सराधाय स्वाहा
ॐ महामोक्षदाय स्वाहा
ॐ प्रियार्थ-पद्महारिणे स्वाहा
ॐ वटस्थाय स्वाहा
ॐ सुराय स्वाहा
ॐ चन्दनाक्ताय स्वाहा
ॐ प्रसक्ताय स्वाहा
ॐ राधया व्रजमागताय स्वाहा
ॐ मोहिनीषुमहामोहकृते स्वाहा
ॐ गोपिकागीतकीर्त्तये स्वाहा
ॐ रसस्थाय स्वाहा
ॐ पटिने स्वाहा
ॐ दुःखिताकामिनीशाय स्वाहा
ॐ वने गोपिकात्यागकृते स्वाहा
ॐ पादचिह्नप्रदर्शिने स्वाहा
ॐ कलाकारकाय स्वाहा
ॐ काममोहिने स्वाहा
ॐ वशिने स्वाहा
ॐ गोपिकामध्यगाय स्वाहा
ॐ पेशवाचाय स्वाहा
ॐ प्रियाप्रीतिकृते स्वाहा
ॐ रासरक्ताय स्वाहा
ॐ कलेशाय स्वाहा
ॐ रसारक्तचित्ताय स्वाहा
ॐ अनन्तस्वरूपाय स्वाहा
ॐ स्रजासंवृताय स्वाहा
ॐ वल्लवीमध्यसंस्थाय स्वाहा
ॐ सुबाहवे स्वाहा
ॐ सुपादाय स्वाहा
ॐ सुवेशाय स्वाहा
ॐ सुकेशव्रजेशाय स्वाहा
ॐ सख्ये स्वाहा
ॐ वल्लभेशाय स्वाहा
ॐ सुदेशाय स्वाहा
ॐ चारुदेहाय स्वाहा
ॐ नूपुराढ्याय स्वाहा
ॐ लसत्कंकणाय स्वाहा
ॐ अंगदिने स्वाहा
ॐ हारभाराय स्वाहा
ॐ किरीटिने स्वाहा
ॐ चलत्कुण्डलाय स्वाहा
ॐ प्रवीराय स्वाहा
ॐ प्रेमगेहाय स्वाहा
ॐ महानृत्यकृते स्वाहा
ॐ रासरंगाय स्वाहा
ॐ कालाढ्याय स्वाहा
ॐ रणिने स्वाहा
ॐ गोपमोहिने स्वाहा
ॐ सुखाशिने स्वाहा
ॐ कुंकुमश्रिये स्वाहा
ॐ धराराज्यदाय स्वाहा
ॐ सुखाढ्याय स्वाहा
ॐ राधापतये स्वाहा
ॐ पूर्णबोधाय स्वाहा
ॐ कुटिलकटाक्षस्मितिने स्वाहा
ॐ वल्गितभ्रूविलासाय स्वाहा
ॐ सुरम्याय स्वाहा
ॐ मन्मथाय स्वाहा
ॐ स्मराय स्वाहा
ॐ यादवेशाय स्वाहा
ॐ सदा मोक्षदाय स्वाहा
ॐ शंखचूडप्रणाशिने स्वाहा
ॐ प्रजारक्षकाय स्वाहा
ॐ महाचक्रधृषे स्वाहा
ॐ कुद्मिप्रणाशप्रयासाय स्वाहा
ॐ सुरेज्याय स्वाहा
ॐ कलये स्वाहा
ॐ क्रोधकृते स्वाहा
ॐ कंसमन्त्रोपदेष्ट्रे स्वाहा
ॐ अक्रूरमन्त्रोपदेशिने स्वाहा
ॐ सुरार्थाय स्वाहा
ॐ केशिघ्ने स्वाहा
ॐ पुष्पवर्षामलश्रिये स्वाहा
ॐ अमलश्रिये स्वाहा
ॐ नारदादेशतो व्योमहन्त्रे स्वाहा
ॐ अक्रूरसेवापराय स्वाहा
ॐ सर्वदर्शिने स्वाहा
ॐ व्रजे गोपिकामोहदाय स्वाहा
ॐ कूलवर्त्तिने स्वाहा
ॐ सतीराधिकाबोधदाय स्वाहा
ॐ स्वप्नकर्त्रे स्वाहा
ॐ विलासिने स्वाहा
ॐ महामोहनाशिने स्वाहा
ॐ स्वबोधाय स्वाहा
ॐ यथेष्टाय स्वाहा
ॐ पारिबर्हिणे स्वाहा
ॐ सत्यापतये स्वाहा
ॐ नम्नकर्त्रे स्वाहा
ॐ व्रजे राधया रथस्थाय स्वाहा
ॐ कृष्णचन्द्राय स्वाहा
ॐ गोपकैःसुगुप्तगमिने स्वाहा
ॐ चारुलीलाय स्वाहा
ॐ जनेशाय स्वाहा
ॐ दिव्यरूपाय स्वाहा