Ramlala Surya Tilak: मध्य प्रदेश में ऐसा मंदिर, जहां रोजाना होता है प्रभु श्रीराम का सूर्य तिलक

प्रभु श्रीराम का सूर्य तिलक

सनातन धर्म में सूर्य तिलक एक प्रमुख हिंदू धार्मिक परंपरा है, जिसे अक्सर लाल रंग के पट्टे के रूप में माथे पर लगाया जाता है। यह एक संस्कृति का प्रतीक है जो सूर्य की पूजा और सम्मान के लिए किया जाता है।

देशभर में रामनवमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि त्रेता युग में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मध्याह्न बेला में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम अवतरित हुऐ थे। इस उपलक्ष्य पर अयोध्या स्थित राम मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया गया है। साथ ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामलला का सूर्य तिलक भी किया जाएगा। भारत देश में एक ऐसा भी मंदिर है जहाँ सूर्य तिलक राम नवमी के दिन ही नहीं बल्कि पुरे वर्ष किया जाता हैं। मध्य प्रदेश के विदिशा में स्थित राम मंदिर में सूर्य तिलक करने की परंपरा सदियों पुरानी है।

कहां है राम मंदिर

मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में पेढ़ी चौराहे पर भगवान श्रीराम का एक विशाल मंदिर है। जहाँ इस मंदिर में पिछले लगभग 280 वर्षों से मध्याह्न बेला में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का सूर्य तिलक किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार मध्याह्न बेला में ही भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। इस मंदिर के मुख्य पुजारी पांडे जी का कहना है कि मंदिर की स्थापना 18वीं शताब्दी में की गई थी और उस समय राम भक्तों ने देशभर में सैकड़ों की संख्या में राम मंदिर बनवाए थे। ये मंदिर अयोध्या के महान संत राजाराम को दान में दिए गए थे। इनमें विदिशा स्थित राम मंदिर में स्थापित प्रभु श्रीराम की पूजा-सेवा की जिम्मेदारी संत राजाराम ने स्वयं ली थी। तत्कालीन समय से भगवान श्रीराम का सूर्य तिलक किया जाता है।

मंदिर का निर्माण

इस मंदिर का निर्माण 1745 में कराया गया था और बाद में संत राजाराम महाराज को दान कर दिया था। इस मंदिर में गुड़ी पड़वा से ही रामनवमी की धूम शुरू हो जाती है। यहां पर रोज शाम को 4 बजे से महिला मंडल द्वारा रामायण का पाठ किया जाता है। रामनवमी के मौके पर सुबह भगवान का अभिषेक किया जाएगा और जन्मोत्सव आरती के पहले बधाई गीत गाए जाते हैं।

कैसे किया जाता है सूर्य तिलक

मंदिर के मुख्य पुजारी के अनुसार समर्थ मठ श्रीराम मंदिर में दोपहर 12 बजे जन्मोत्सव आरती की जाती है। इसी समय मंदिर के प्रांगण में स्थित चबूतरे पर एक साधक दर्पण (सीसा )लेकर खड़ा रहता है। यह दर्पण लगभग ढाई फिट लंबा और एक फिट चौड़ा होता है। इस दर्पण पर सूर्य की किरणें सीधी उतरती हैं और इन किरणों को दर्पण के माध्यम से मंदिर के गर्भ गृह में पहुंचाकर भगवान श्रीराम का सूर्य तिलक लगभग 15 मिनट तक किया जाता है।