सनातन धर्म के लोग चैत्र नवरात्र के आने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। चैत्र नवरात्र के दौरान मंदिरों में अलग ही रौनक देखने को मिलती है। इस पावन समय में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अलग-अलग दिन करने का विधान है। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए व्रत किया जाता है। चैत्र नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी की उपासना की जाती है। इस अवसर पर साधक मां महागौरी की पूजा करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मंदिर भी जाते हैं।
पूरे विश्व में धार्मिक राजधानी के नाम से फेमस काशी यानी वाराणसी बाबा भोले की नगरी के नाम से जाना जाता है। इस पावन शहर में भगवान शिव के अनेकों रूप की उपासना की जाती है। इसे पवित्र नगरी में महादेव का वास हो और मां महागौरी का न हो ऐसा हो ही नहीं सकता है।
महागौरी मंदिर
इस मंदिर को लेकर कई तरह की पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। ऐसा बताया जाता है कि एक बार मां गौरी देवों के देव महादेव को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थीं। वह तपस्या की वजह से कृष्ण वर्ण हो गई। बाद में भगवान शिव ने गंगाजल से मां को गौर वर्ण कर दिया। इसके पश्चात मां पार्वती को देवी महागौरी का नाम मिला और काशी में विराजमान हो गईं।
इस पवित्र मंदिर को लेकर यह अवधारण है कि जो भी सच्चे मन से मां का दर्शन करने पहुंचता है वो सभी पापों से मुक्त हो जाता है। कई लोगों का मानना है कि जो भक्त नवरात्र के दिनों में मां के ऊपर लाल रंग की चुनरी और फूल अर्पण करता है वो सभी दुखों से मुक्त हो जाता है। इसलिए चैत्र नवरात्रि में भी यहां देश भर से करोड़ों भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
महागौरी मंदिर दर्शन का समय
महागौरी मंदिर भक्तों के दर्शन के लिए सुबह 6 बजे से लेकर रात 8 बजे तक खुला रहता है। हालांकि दिन में 12 बजे से लेकर दोपहर 2 बजे तक मंदिर का दरवाजा बंद रहता है। वहीं चैत्र नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर का दरवाजा भक्तों के लिए दिन भर खुला रहता है। ऐसे में नवरात्रि में आप किसी भी समय दर्शन के लिए जा सकते हैं।
मां को समर्पण करें यह सामग्री
मंदिर में खास बात यह है कि महिला श्रद्धालुओं का गभस्तेश्वर महादेव को स्पर्श करना वर्जित है। प्रांगण में मंगल विनायक, आदिकेशव महादेव व हनुमान जी के विग्रह स्थापित हैं। हनुमान जी के विग्रह की स्थापना शिवाजी के गुरु रामदास जी ने की थी। देवी का वाहन वृषभ है। देवी के दर्शन-पूजन से अलौकिक सुख और शांति की अनुभूति होती है तथा जीवन में उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। देवी को लाल फूल की माला, चुनरी, नारियल, फल एवं विविध मिष्ठान के साथ ही कमलगट्टा, चन्दन व नूतन वस्त्र आदि अर्पित करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।