अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए रखें कालाष्टमी का व्रत, जाने माघ माह की कालाष्टमी व्रत तिथि

अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए रखें कालाष्टमी का व्रत, जाने माघ माह की कालाष्टमी व्रत तिथि

कालाष्टमी का दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव को समर्पित होता है. इस दिन काल भैरव की पूजा-अर्चना का खास विधान है. इस दिन व्रत रखने से काल भैरव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. साथ ही, जीवन के हर संकट से निजात मिलती है. तो ऐसे में आइए जानते हैं इस साल फरवरी माह में कब रखा जाएगा कालष्टमी का व्रत और क्या इसका महत्व.

हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि कालाष्टमी कहलाती है. यानी साल में कुल 12 कालाष्टमी आती है. इस साल की पहली कालाष्टमी 04 जनवरी को थी. ये दिन भोलेबाबा के रौद्र रूप भैरव बाबा को पूर्णरूप से समर्पित होता है. भैरव बाबा के तीन रुप होते है. काल भैरव, बटुक भैरव और रूरू भैरव. जिनमें से कालाष्टमी पर उनके काल भैरव स्वरूप की उपासना की जाती है.

अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए रखें कालाष्टमी का व्रत, जाने माघ माह की कालाष्टमी व्रत तिथि

मान्यता है कि जो भी जातक कालाष्टमी के दिन भैरव बाबा की पूरी श्रद्धा-भाव से पूजा करता है और व्रत रखता, तो उसकी सारी परेशानियां चुटकियों में हल हो जाती है.

हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस साल माघ माह की कृष्ण पक्ष तिथि का आरंभ 02 फरवरी को शाम 04 बजकर 03 मिनट पर होगा. जिसका समापन अगले दिन 03 फरवरी को शाम 5 बजकर 20 मिनट पर होगा. तो ऐसे में इस बार माघ माह की कालाष्टमी तिथि का व्रत 02 फरवरी को रखा जाएगा.

कालाष्टमी व्रत महत्व

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, कालाष्टमी का व्रत रखकर भैरव बाबा की उपासना करने से जातक के ऊपर लगा अकाल मृत्यु का खतरा टल सकता है. इसके अलावा कुंडली पर लगा शनि और राहु दोष के दुष्परिणामों का प्रभाव भी कम हो सकता है. बाबा काल भैरव को तांत्रिकों का देवता भी माना जाता है. यानी तंत्र विद्या में मानने वाले मनुष्य को काल भैरव की उपासना अवश्य करनी चाहिए. इससे सिद्धि की प्राप्ति होती है.