मां सरस्वती को विद्या और कला की देवी माना जाता है और वे त्रिदेवियों में से एक हैं। भारत में लोग संगीत, ज्ञान और मार्गदर्शन पाने के लिए मां सरस्वती की पूजा करते हैं। मां सरस्वती के प्रकट होने का दिन माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि होता है। इस दिन वसंत पंचमी भी मनाई जाती है। इसलिए वसंत पंचमी पर सरस्वती माता की पूजा का खास महत्व है। चलिए जानते हैं कि इस साल मां सरस्वती का अवतरण दिवस कब मनाया जाएगा और इस पर्व का क्या खास महत्व है?
मां सरस्वती हमेशा हंस पर बैठी रहती हैं। हंस को ज्ञान और अद्भुत चीजों का प्रतीक माना जाता है। इसकी शक्ति और तेज मां सरस्वती के ज्ञान और कला को दर्शाती है। यह मान्यता है कि अगर हम माता की पूजा करते हैं तो हमें जीवन में तरक्की और सफलता मिलती है। इस साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 2 फरवरी को है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन देवी सरस्वती श्वेत कमल पर बैठकर हाथ में वीणा, माला और किताब लेकर प्रकट हुई थीं।

सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त-
माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का प्रांरभ 2 फरवरी 2025 को सुबह 9.14 बजे से शुरू हो रही है जो 3 फरवरी 2025 के सुबह 6.52 बजे तक रहेगी। धार्मिक मान्यता है कि जिस दिन पंचमी तिथि सूर्योदय और दोपहर के बीच होती है उस दिन सरस्वती पूजा के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है।
सरस्वती पूजा के दिन इन मंत्रों का करें जाप
- या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
- शारदायै नमस्तुभ्यं मम ह्रदय प्रवेशिनी, परीक्षायां सम उत्तीर्णं, सर्व विषय नाम यथा।
- ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।
- सरस्वती महाभागे विद्ये कमललोचने। विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते॥

सरस्वती पूजा का महत्व
शास्त्रों में मां सरस्वती को संगीत, कला और विद्या की देवी माना गया है। इसलिए इन क्षेत्रों से जुड़े लोगों के लिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा करना बहुत जरूरी है। जब वो ऐसा करते हैं तो उन्हें अपने काम में सफलता मिलती है और उनका ज्ञान भी बढ़ता है।
मां सरस्वती के हाथ में एक किताब और माला होती है। किताब ज्ञान का प्रतीक है और माला भक्ति का। जब हम मां सरस्वती की पूजा करते हैं तो मां हम पर कृपा करती हैं और हमें विज्ञान, कला, विद्या, वाणी, बुद्धि और संगीत जैसी चीजें मिलती हैं।