असम में माघ बिहू पर होती है भैंस लड़ाई, मकर संक्रांति बनती है धूम-धाम से!

साल में 3 बार मनाए जाने वाला पर्व माघ बिहू असम का लोकप्रिय पर्व है. इस दिन भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में फसल की कटाई और शादी-ब्याह के शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो जाती है. इसे भोगाली बिहू भी कहा जाता है… माघ बिहू का ये पर्व अग्नि देव को समर्पित होता है. फसल से जुड़ा ये त्योहार भारत के अन्य राज्यों में मकर संक्रांति के तौर पर मनाया जाता है.

16 जनवरी 2024 को साल का पहला माघ बिहू मनाया जाएगा, ये त्योहार सप्ताहभर मनाया जाता है. इस उत्सव में पारंपरिक असमिया खेल जैसे कि टेकेली भोंगा यानी पॉट-ब्रेकिंग और भैंस लड़ाई भी शामिल होती है.

असम में माघ बिहू पर होती है भैंस लड़ाई, मकर संक्रांति बनती है धूम-धाम से!

असम में फसल कटाई का प्रमुख त्योहार है. फसल पकने की खुशी में इस त्योहार को मनाया जाता है. इसे भोगाली बिहू इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें कई पारंपरिक तरह के पकवान बनाए जाते हैं.

माघ बिहू के दिन लोग बांस और घास-फूस का घर-(झोपड़ी) तैयार करते हैं, जिसे मेजी या भेलघर कहा जाता है.रात में लोग अलाव के आसपास इकट्ठा होकर कई तरह के पकवान बनाते हैं जिसे ‘उरुका’ कहते हैं. इस दौरान पूर्व राज्यों में पूरे हफ्ते तरह-तरह के ट्रेडिशनल पकवान बनाकर खाए और खिलाए जाने की परंपरा है. इस दौरान वहां के लोगों द्वारा तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं.

असम में माघ बिहू पर होती है भैंस लड़ाई, मकर संक्रांति बनती है धूम-धाम से!

पौष के इस महीने के माघ बिहू के बाद ये पर्व अप्रैल के मध्य में आता है, जो रोंगाली बिहू के नाम से जाना जाता है. इसके बाद तीसरी बार ये पर्व अक्टूबर में आता है, जो काती बिहू या कोंगाली बिहू के नाम से जाना जाता है.