नीतिशास्त्र के जनक माने जाने वाले आचार्य चाणक्य एक सुविज्ञ और ज्ञानी भारतीय थे. ये नीति ग्रंथों के रचयिता थे. जिसके चलते इन्हें काफी सुप्रसिद्धी हासिल हुई. आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के ज़रिए मनुष्य के जीवन को सफल बनाने के कुछ पहलुओं पर बात की है. काफी लोग अपना जीवन सुखमय बनाने के लिए आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई नीतियों को अपनाते हैं. उनके अनुसार, सफलता हासिल करने के लिए मनुष्य के अंदर कुछ गुण होने काफी ज़रूरी है. ऐसे में चाणक्य के मुताबिक, जो बच्चा अपने मां के गर्भ से कुछ गुण सीख लें, तो उसका भविष्य काफी उज्जवल और सफल होगा.

दान- चाणक्य नीति के ग्यारवहें अध्याय के पहले श्लोक के अनुसार, अधिकतर बच्चों के अंदर दान की रूचि मां के गर्भ से ही आ जाती है. दान सबसे पुण्य का काम माना जाता है. बच्चा हर अच्छी-बुरी आदतें सबसे पहले अपने माता-पिता से सीखता है. अगर माता-पिता के अंदर दान के गुण है, तो बच्चे के अंदर भी वो प्रवृत्ति आ जाती है.
मधुरवाणी- बच्चें अपने माता-पिता का अंश होते हैं. जिससे माता-पिता के अधिकतर संस्कार उनमें आते हैं. ऐसे में यदि माता-पिता मीठी वाणी और मधुर बोलने वाले हैं. तो उनके बच्चे भी उनसे वही सीख लेते हैं.
धैर्य और सब्र- बच्चे में धैर्य और सहनशीलता भी अपने माता-पिता से आती है. धैर्यवान बच्चा सदैव सफल होता है. हिम्मत रखने से बच्चा आगे चलकर अपनी जीवन की सभी कठिनाईयों को चुटकियों में पार कर लेता है.
सही-गलत- एक बच्चे के अंदर सही-गलत का ज्ञान भी अपने माता-पिता से मिलता है. बच्चे के अंदर उसके माता-पिता की झलक दिखती है. इसलिए यदि माता-पिता भी सही-गलत की बखूबी से परख रखते हैं. तो उनका बच्चा भी सही-गलत में फर्क सीख लेता है और जीवन में कामयाबी हासिल करता है.