श्रीराम के परम दास और भक्त माने जाने वाले हनुमान ने त्रेतायुग में श्रीराम की रावण पर जीत हासिल करवाने के लिए भगवान शिव के 11वें अंश के रूप में हनुमान ने अवतार लिया था. श्रीराम के साथ-साथ वे माता सीता के भी अति प्रिय थे. जिसके चलते माता सीता ने उन्हें चीरंजीवी होने का वरदान दिया था. आज भी ये कहा जाता है कि जहां श्रीराम का कीर्तन-भजन होता है. वहां हनुमान स्वयं किसी न किसी रूप में उसी जगह विद्यमान होते हैं. हनुमान श्रीराम के इतने बड़े भक्त थे कि उन्होंने अपना सीना चीर के दिखाया था. जिसमें श्रीराम और माता सीता की अति सुंदर छवि थी. लेकिन ऐसा क्या हुआ था जिससे हनुमान अपना सीना चीरने पर मजबूर हो गएं? आइए जानें.
श्रीराम के प्रति नि:स्वार्थ भक्ति और प्रेम दिखाते हुए हनुमान ने भरी सभा के सामने अपना सीना चीरा था. हनुमान श्रीराम के इतने बड़े भक्त थे कि बिना राम नाम के उनका दिन आरंभ नहीं होता. राम नाम के बिना उनके कंठ और कर्ण को कुछ भी न लुभाता था. पौराणिक कथा के अनुसार, चौदह वर्षों का लंबा वनवास काटने के बाद वापिस अयोध्या लौटकर श्रीराम ने राजपाट की बागडोर संभाली थी. जिस दौरान प्रभु राम की सभा में उनके सहयोगी और भक्त कुछ न कुछ भेंट देने के लिए राम दरबार पहुंचे. श्रीराम ने हनुमान से भी दरबार में उपस्थित होने को कहा. जिसके तत्पश्चात माता सीता ने हनुमान को सभा में पहनकर जाने के लिए रत्न एवं मोती जड़ित एक बहुमूल्य हार दिया. लेकिन थोड़ी देर में हनुमान ने पाया की उस हार में कहीं भी श्रीराम का नाम नहीं है.

जिससे उदास होकर भरी सभा के सामने वे उस हार के मोतियों को एक-एक कर फैंकने लगे. हनुमान के इस स्वभाव को श्रीराम बिना बताए ही समझ गए थे. लेकिन लक्ष्मण को हनुमान का ये स्वभाव उनके भ्राता का अपमान लगा. जिससे क्रोध में आकर लक्ष्मण ने हनुमान को माता जानकी द्वारा दिए इस अमुल्य हार को तोड़ने की वजह पूछी.
लक्ष्मण के जवाबों का उत्तर देते हुए हनुमान ने कहा, “जिस भी वस्तु पर मेरे प्रभु श्रीराम का नाम न हो, वो वस्तु मेरे लिए अमुल्य है. अत: मैं ऐसी कोई वस्तु नहीं अपनाऊंगा जिसपर मेरे श्रीराम का नाम न हो”. हनुमान की ये बात सुन लक्ष्मण क्रोध में बोले कि अगर ये ही बात है तो क्या तुम अपना देह भी त्याग दोगे? क्योंकि तुम्हारे शरीर पर भी श्रीराम नाम कहीं नहीं लिखा है.
लक्ष्मण के इतना कहते ही हनुमान ने भरे दरबार को अपना सीना चीर कर सीताराम की अद्भुत और आलौकिक छवि के दर्शन कराए. जिसे देख हर कोई दंग रह गया. हनुमान के शरीर पर राम नाम ही नहीं, बल्कि उनके सीने में स्वयं सीताराम का अनोखा चित्र बना है. जो सदैव उनके हृदय के पास रहते हैं. इससे लक्ष्मण को काफी ग्लानी हुई. जिसको लेकर उन्होंने हनुमान से क्षमा मांगी.