दुनिया में भगवान शिव की 12 ज्योतिर्लिंग हैं. सभी ज्योतिर्लिंग भगवान शिव को समर्पित है. जिसमें से एक ज्योतिर्लिंग ऐसा हैं, जो भोलेनाथ के साथ-साथ इस ब्रह्मांड के संचालक श्रहरि विष्णु और पिता ब्रह्मा को भी समर्पित हैं. इस मंदिर के अपने पौराणिक इतिहास और रहस्य हैं. ये ज्योतिर्लिंग है त्र्यंबकेश्र्वर मंदिर. आइए जानते हैं इस मंदिर का महत्व.
देशभर में भोलेनाथ के लाखों भक्त हैं. भोलेनाथ को अरण्य संस्कृति के सर्वप्रथम देवता माना जाता है. ब्रह्मांड को चलाने वाले त्रिदेवों में एक देव भोलेनाथ भी हैं. भारतभर में भोलेनाथ के कई प्राचीन और विख्यात मंदिर हैं. इसके अलावा उत्तरी भारत से दक्षिणी भारत तक शिवजी के 12 विख्यात ज्योतिर्लिंग हैं. जिनके दर्शन करने भक्त दूर-दूर से आते हैं. उन 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग त्र्यंबकेश्र्वर मंदिर है. ये विख्यात मंदिर महाराष्ट्र के नासिक से करीब 28 किलोमिटर की दूरी पर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है.

इस मंदिर में भगवान शिव को त्रय यानी कि त्रिदेव ब्रह्म, विष्णु और महेश के रूप में पूजा जाता है. साथ ही इस मंदिर को भगवान शिव के तीन नेत्रों के रूप में भी पूजा जाता है.