हिंदू धर्म में कार्तिक मास को सबसे पवित्र माना गया है. इस ही माह में वैकुंठ चतुर्दशी के पर्व का काफी अधिक महत्व है. वैकुंठ भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है. वैकुंठ चतुर्दशी को विशेष महत्व दिया गया है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस दिन देवों के देव महादेव और भगवान विष्णु के मिलन की परंपरा है. इस चतुर्दशी को हरिहर चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. आइए जानते है पौराणिक मान्यता.
इस साल बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व कार्तिक मास की 25 तारीख यानी 25 नवंबर के दिन है. धर्मग्रंथों के अनुसार, ये वो दिन है जब भगवान शिव और विष्णु की एक साथ पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन जो मनुष्य महादेव और श्री हरि विष्णु की एक साथ पूजा करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति अर्थात वैकुंठधाम हासिल होता है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के कहने पर इस दिन भगवान शिव ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया था. बता दे कि श्री हरि विष्णु ने राक्षसों के संहार के लिए भोलेनाथ से सुदर्शन नाम की अजेय शस्त्र की मांग की थी. भगवान विष्णु की हाथ की अंगुली पर सुशोभित ये सुदर्शन चक्र ब्रह्मांड के सबसे शक्तिशाली अस्त्र-शस्त्रों में से एक है. जो दैत्यों और दानवों को दो तुकड़ों में बांटने की क्षमता रखता है.

भगवान विष्णु की महादेव ने ली परीक्षा
कथाओं के मुताबिक, एक समय ऐसा था जब असुरों का प्रभाव काफी अधिक बढ़ता जा रहा था. सभी देवगण विष्णु की शरण में उस असुर के संहार की पुकार लेकर आए. विष्णु जी देवताओं की इस दुविधा को सुनकर सीधा महादेव के पास पहुंचे. लेकिन उस समय महादेव ध्यानमग्न थे. तब श्रीहरि भोलेनाथ का ध्यान भंग करने की जगह उनकी शिव स्तुति करने लगे.इसके साथ उन्होंने हज़ार कमल महादेव पर अर्पित करने का संकल्प लिया. परंतु महादेव भी विष्णु की परीक्षा लेने लग गए और उन्होंने उन हज़ार फूलों में से एक फूल गायब कर दिया.
एक फूल की कमी देखकर भगवान विष्णु ने महादेव को अपनी एक आंख अर्पित कर दी. ऐसा इसलिए क्योंकि श्रीहरि के नेत्रों को कमल के समान माना जाता है. इसलिए वे कमलनयनम के नाम से भी जाने जाते है. भगवान विष्णु की इस भक्ति से महादेव अति प्रसन्न हुए. ये दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी का था. श्रीहरि के भक्ति भाव को देखकर महादेव ने ये कहा कि जो भी मनुष्य इस दिन सर्वप्रथम श्रीहरि विष्णु की पूजा कर मुझे पूजेगा. उसे वैकुंठधाम प्राप्त होगा. तभी महादेव ने विष्णुजी को वरदान मांगने को भी कहा. यही कारण है कि असुरों के संहार के लिए श्री विष्णु ने महादेव से सुदर्शन चक्र की कामना की.