आज के समय में कई ऐसी लड़कियां या लड़कें हैं जिनकी शादी में काफी अड़चनें पैदा होती हैं. लेकिन शास्त्रों में कहा गया है कि जिन कुंवारी कन्याओं की शादी में रूकावटें पैदा होती है, वे अगर तुलसी विवाह के दिन कुछ उपाय कर लें, तो उनकी शादी में आ रही बाधाओं का अंत हो सकता है. जिससे जल्दी विवाह योग बन सकते है. आइए जानते है वो कुछ उपाय.
कल से यानी 23 नवंबर से मांगलिक कार्य एक बार फिर पूरे पांच महीनों बाद शुरू होने जा रहें हैं. देवशयनी एकादशी से चातुर्मास खत्म होने तक सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों पर रोक लगा दी जाती है. वहीं, देवउठनी एकादशी से यही मांगलिक कार्य फिर से शुरू होते हैं. हिंदू धर्म में इसके पीछे मान्यता ये है कि देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी तक पूरे चार महीनों के लिए शयनकाल यानी योग निद्रा में चले जाते है. जिसके दौरान कोई भी मांगलिक कार्य करना अशुभ माना जाता है. क्योंकि जब स्वयं ब्रह्मांड के संचालक ही किसी मांगलिक कार्य में शामिल नहीं होंगे, तो वे कार्य शुभता से पूर्ण नहीं होगा.

ऐसे में कल देवउठनी एकादशी के साथ सभी मांगलिक कार्यों की शुरूआत होने जा रही है. जिसमें शादी-विवाह भी शामिल है. देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी विवाह का महत्व है. इस दिन बड़ी धूमधाम से तुलसी माता का विवाह शालीग्राम के साथ करवाया जाता है. तुलसी विवाह के दिन यदि कोई कुंवारी कन्याएं उनके विवाह में आ रही अड़चनों को लेकर कुछ उपाय कर लें तो उनके जीवन में विवाह योग बन सकते हैं.
करें ये उपाय-
शास्त्रों के अनुसार, कुंवारी कन्याओं को तुलसी विवाह के दिन श्री हरि विष्णु को गुलाब के दो फूल और एक नारियल अर्पित करना चाहिए. कुंवारी कन्याओं को तुलसी विवाह की कथा के अनुसार पूजा-अर्चना करनी चाहिए. इससे उनकी कुंडली में विवाह के योग जल्दी बनते हैं. कुंवारी कन्या को अपने हाथों से तुलसी के पत्तों की माला बनानी चाहिए और गुलाब के दो फूलों के साथ उस माला को भगवान विष्णु को अर्पित करना चाहिए.