छठ पूजा के महापर्व पर केवल महिलाएं क्यों रखती है व्रत?

छठ पूजा के महापर्व पर केवल महिलाएं क्यों रखती है व्रत?

इस साल लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व यानी छठ पूजा की शुरूआत 17 नवंबर से होने जा रही है. चार दिवसीय का ये पर्व नहाय-खाय के साथ शुरू होती है और वर्त के पारण के साथ चौथे दिन इसका समापन होता है. बता दें कि इस बार 17 नवंबर को नहाय-खाय की रस्म होगी, 18 नवंबर को खरना, 19 नवंबर को सायंकालीन अर्घ्यदान यानी की डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और अगले दिन 20 नवंबर को प्रातःकालीन अर्घ्य यानी उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ की समाप्ति की जाएगी और वर्त का पारण किया जाएगा. लेकिन क्या आप जानते है कि छठ की इन प्रथाओं को केवल महिलाएं क्यों करती है? आइए जानते है.

छठ पूजा के महापर्व पर केवल महिलाएं क्यों रखती है व्रत?


हिंदू धर्म में महिलाओं को देवी मां का रूप माना गया है. महिलाएं अपने जीवन में अनेक तरह के कष्ट झेलकर भी अपने संपूर्ण परिवार को संजोकर रखती है. अपने पति, बच्चे, परिवार की रक्षा करती है. ईश्वर ने महिलाओं को मां दुर्गा के समान सभी प्रकार की बुराइयों और परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति दी है. छठ का ये पावन पर्व बड़ा ही अतुलीय होता है. शुद्धता, पवित्रता का प्रतीक माने जाने वाला ये पर्व अधिक चुनौतीपूर्ण माना जाता है. और नारी को शक्ति का रूप माना जाता है. कहा जाता है कि ये व्रत नारी ही निभा सकती है. इसके अलावा, छठ पूजा महिलाओं और पुरुषों के रिश्तें में एकता बनाए रखने के लिए मनाया जाता है.

छठ पूजा का पर्व एक सामाजिक एकता और समृद्धि का प्रतीक है. हर जाति-वर्ग के लोगों के द्वारा छठ के व्रत को सभी महिलाएं एक सामान नियम से निभाती है. सब महिलाएं एक जगह इकट्ठा होकर इस पर्व को मनाती है. छठ पूजा का ये पर्व एक मात्र ऐसा पर्व है, जो सभी जाति-पाति को एक साथ जोड़कर रखता है.