कौन है शुभ-लाभ? स्वास्तिक के साथ क्यों लिखा जाता है शुभ-लाभ?

कौन है शुभ-लाभ? स्वास्तिक के साथ क्यों लिखा जाता है शुभ-लाभ?

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और अनुष्ठानों का काफी महत्व है. किसी भी मांगलिक कार्य की शुरूआत से पहले शुभ-लाभ का चिह्न बनाया जाता है. जिसमें शुभ का मतलब है अच्छा और लाभ का फायदा. शुभ-लाभ स्वास्तिक के साथ लिखा जाता है. क्या आपको पता है कि ऐसा क्यों होता? आइए जानते है.

हिंदू समाज में किसी भी अच्छे कार्य, त्योहार या मांगलिक कार्य के समय शुभ-लाभ लिखा जाता है. जो शुभता का प्रतीक है. मान्यता है कि इसे बनाने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है.

दरअसल, शुभ और लाभ श्री गणेश के दो पुत्र है. जिनका वर्णन शास्त्रों में मिलता है. कहा जाता है कि प्रजापति विश्वकर्मा की दो पुत्रियां रिद्धि-सिद्धि भगवान श्रीगणेश की दो पत्नियां थी. इन्हीं के पुत्र शुभ-लाभ है. शुभ को सिद्धि का पुत्र कहा जाता है और लाभ रिद्धि के पुत्र है. इसी से शुभ-लाभ के नाम से ये दोनों साथ में पहचाने जाने लगे.

दरअसल, स्वास्तिक को भगवान गणेश का रूप माना जाता है.इसलिए शुभ-लाभ के चिह्न के साथ भगवान गणेश का स्वास्तिक बनाया जाता है. शुभ-लाभ के चिह्न को घर और कार्यालय में बनाना शुभ माना जाता है. इससे घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है. साथ ही श्री गणेश की कृपा बरसती है.