विविधताओं से भरा भारत, इन राज्यों में अनोखे तरीकों से मनाई जाती है दिवाली!

विविधताओं से भरा भारत, इन राज्यों में अनोखे तरीकों से मनाई जाती है दिवाली!

भारत में त्योहारों की धूम चल रही है. वैसे तो भारत में त्योहारों में काफी विविधताएं है. लेकिन दीपावली भारत में मनाए जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. दिवाली को पूरे भारत में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. सदियों से दिवाली को अधर्म पर धर्म की जीत को लेकर मनाया जा रहा है. फिर चाहे वो भगवान राम के 14 वर्ष का संघर्ष भरा वनवास कांटने को लेकर हो, या फिर भगवान कृष्ण का नरकासुर को मारकर 16000 स्त्रियों को छुड़वाने को लेकर दिवाली मनाना हो.

विविधताओं से भरा भारत, इन राज्यों में अनोखे तरीकों से मनाई जाती है दिवाली!

दिवाली की रात चारों ओर मोमबत्तियों और दीयों की रोशनी और पटाखों की गूंज पूरे भारत में अलग ही तेज बढ़ा देती है. गली-गली फूलों और रंगोलियों से सजी दिखती है. पूरे भारत में हर किसी राज्य का दिवाली मनाने का अपना ढ़ंग, अपना तरीका है. आइए आज हम आपको बताते है भारत में मनाने वाली अनोखे तरीके की दिवाली.

गुजरात की पटाखे बरसाने वाली परंपरा-

दिवाली के मौके पर गुजरात के काफी जिलों में सबसे अनोखी परंपरा है. अभी तक आप लोगों ने पटाखों की आतिश्बाजियां तो देखी ही होगी. लेकिन क्या आपने कभी ये सुना है कि गुजरात की कई जगहों पर लोग एक दुसरे पर पटाखें फैंक कर दिवाली मनाते है. सुनने में अजीब है न? ये रस्म गुजरात के पंचमहल की अनोखी रस्म है. कई लोग दिवाली की रात को घी का दीया जलाते है और सुबह उसके बचे हिस्से में काजल बनाकर आंखों में लगाते है. वहीं गुजरात के कुछ हिस्सों में दिवाली 15 दिनों तक मनाई जाती है और इस दौरान हर्बल लकड़ी जलाने की परंपरा है. क्योंकि वहां के लोगों का मानना है कि औषधीय लकड़ी जलने के बाद उससे पैदा होने वाला धुआं इंसान के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है.

हिमाचल में पत्थरबाजी-

हिमाचल प्रदेश का पत्थर का मेला भी इस तरह से अपने आप में बेहद अनोखा है. इस पत्थर के समारोह को  हर साल दिवाली के बाद मनाए जाने की परंपरा है. यहां के ग्रामीणों का ये कहना है कि दिवाली के अवसर पर एक दूसरे को पत्थर मारा जाना भाग्यशाली है. इस दौरान ग्रामीणों के दो गुट एक-दूसरे पर जमकर पत्थर फैकते है और लहुलूहान कर देते हैं. उनसे निकले रक्त को इकट्ठा कर मां काली का उससे टीका किया जाता है. इस तरह से मां काली को मानव बलि दी जाती है.