अगर चाहते है बच्चे का बेहतर जीवन, तो अहोई अष्टमी को ध्यान रखें ये बातें!

अगर चाहते है बच्चे का बेहतर जीवन, तो अहोई अष्टमी को ध्यान रखें ये बातें!

हिंदू समाज में सबसे पवित्र रिश्ता एक माँ का उसके बच्चे के साथ माना जाता है. माँ अपने बच्चे के लिए कुछ भी कर सकती है, ज़रूरत पड़ने पर किसी से भी लड़ सकती है. बच्चा माँ का महत्तवपूर्ण अंश होता. उसके जिगर का तुकड़ा होता है. बिना संतान के एक स्त्री अधूरी होती है. मातृत्व सुख उसे पूरा करता है. कोई माँ अपने बच्चे का बुरा नहीं चाहती. ऐसे में मां और उसके बच्चे के लिए अहोई अष्टमी का पर्व सबसे महत्वपूर्ण होता है. इस दिन हर माँ अपने बच्चे के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखती है. मां ये व्रत अपने बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र आयु के लिए रखती है. साथ ही अहोई माता से ये वरदान मांगती है कि उसका बच्चाओ बड़ा होकर कामयाबी की राह पर चलें और एक अच्छा व्यक्ति बने.

अगर चाहते है बच्चे का बेहतर जीवन, तो अहोई अष्टमी को ध्यान रखें ये बातें!

हर साल अहोई अष्टमी कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. इस बार ये तिथि 05 नवंबर को इसका मतलब इसी तारिख को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाएगा. इस माता अपने बच्चों की दिर्घायु और बेहतर जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. लेकिन इस दिन कई ऐसी खास बातें हैं, जो हर वर्ती को ध्यान रखनी चाहिए. नहीं तो उनकी उस गलती का बुरा असर उनके बच्चे पर पड़ता है.

न करें ये गलतियां-

  • धातु के बर्तन से ही अहोई अष्टमी के दिन चंद्रमा और तारा को अर्घ्य देना चाहिए. तांबे के बर्तन का इस्तेमाल कतई नहीं करना चाहिए.
  • अक्सर पूरा दिन काम से थकहार के महिलाएं दोपहर में थोड़ा आराम के लिए सो जाती हैं. लेकिन इस दिन वर्ती महिलाओं को बिल्कुल नहीं सोना चाहिए. क्योंकि ये अशुभ माना जाता है.
अगर चाहते है बच्चे का बेहतर जीवन, तो अहोई अष्टमी को ध्यान रखें ये बातें!
  • इस दिन मिट्टी को हाथ लगाने की भी मनाही होती है. ये बच्चों के लिए नुकसानदायक हो सकता है. इसलिए इस दिन मिट्टी से जुड़ा कोई कार्य न करें.
  • अहोई अष्टमी के दिन चाकू, सुई, कील जैसी दरार वाली या नुकीली चीज़ों को इस्तेमाल करने से बचना चाहिए.
  • इस दिन तुलसी के पत्तों को न स्पर्श करना चाहिए और न ही तोड़ना चाहिए.