एक साल यानी 12 महीनों में 24 एकादशी पड़ती हैं. इन चौबिस एकादशी में से सबसे सर्वश्रेष्ठ एकादशी देवउठनी एकादशी है. एक महीने में 2 एकादशी आती है. हिंदू पंचांग के हिसाब से एक महीने को दो पक्षों में बाँटा गया है. शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष. महीने में 30 दिन होते है. इसलिए ये दोनों पक्ष 15-15 दिनों के लिए होते हैं. शुक्ल पक्ष के 15 दिन चंद्रमा का तेज और आकार बढ़ता चला जाता है. वहीं, कृष्ण पक्ष के 15 दिन चंद्रमा का वही प्रकाश और आकार घटता चला जाता है. ये साल अधिकमास होने के कारण इस बार चातुर्मास चार महीने की जगह पांच महीने का है. चातुर्मास की शुरूआत से समस्त ब्रह्मांड के संचालक भगवान विष्णु कुछ महीनों के लिए क्षीरसागर में योग निद्रा में चले जाते है. जिसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है. वहीं, जब भगवान विष्णु इतने लंबे समय के बाद अपनी निद्रा से बाहर आते है, तो वो दिन देवउठनी एकादशी का होता है.

हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बाकी सभी व्रतों के मुताबिक सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इन चौबिस एकादशियों में सबसे ज्यादा महत्व देवउठनी एकादशी का होता है. क्योंकि इस एकादशी से श्रीहरि अपनी योग निद्रा से बाहर आ जाते है और समस्त लोक का कार्यभार संभालते हैं. देवउठनी एकादशी के साथ चातुर्मास का भी समापन होता है.
हिंदू धर्म में ये मान्यता है कि जब तक भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से न जग जाए तब तक कोई भी मांगलिक कार्य उचित नहीं है. चातुर्मास की शुरूआत के साथ सभी तरह के मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है. देवउठनी एकादशी के साथ सभी मांगलिक कार्य किए जाते है.

कार्तिक महिने के शुक्ल पक्ष को देवउठनी एकादशी की शुरूआत होती है. इस साल देवउठनी एकादशी 23 नवंबर को पड़ रही है. इस दिन खासतौर से श्रीहरि को पूजा जाता है. क्योंकि देवउठनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से बाहर आकर सारा कार्य संभालने लगते है. सबसे पहले माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के साथ किया जाता है.