VijayDashmi: साल में दो बार नवरात्रि मनाई जाती है. पहली नवरात्रि चैत्र माह में आती है. जिसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है. दूसरी और आखिरी नवरात्रि अश्र्विन मास में जिसे शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है. शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों तक देवी माँ के नौ अलग रूपों को पूजने के बाद दसवें दिन यानी दशमी पर विजयदशमी का त्योहार मनाया जाता है. जिसे अधिकतर लोग दशहरा कहते है.

दशहरा के अवसर पर लोग रावण, कुंभकर्ण और मेहनाथ का पुतला दहन करते है. ये त्योहार असत्य की सत्य पर जीत के पर्व के रुप में मनाया जाचा है. इसी दिन बंगाल में माता रानी को धूमधआम से विसर्जित कर अलविदा किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते है कि नवरात्रि के ठीक बाद दसवें दिन ही दशहरा क्यों बनाई जाती है? या आखिर देवी माँ की पूजा से रावण दहन के पर्व का क्या मेल है? आइए जानते है.
नवरात्रि के शुरू होते के साथ देशभर में जगह-जगह रामलीला का भव्य आयोजन किया जाता है. असत्य पर सत्य की जीत के तौर पर मनाया जाने वाला ये हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण पर्व है. पौराणिक कथाओं के अनुसार दशमी के दिन एक बार नहीं बल्कि दो बार असत्य की सत्य पर जीत हुई थी. पुराणों के अनुसार, महिषासुर नाम के असुर का आतंक बढ़ने के कारण समस्त देवगणों ने दुर्गा माता को मदद की गुहार लगाई थी. जिसे सुन करीब नौ दिनों तक देवी माँ के कात्यायनी स्वरूप ने महिषासुर से युद्ध किया और दसवें दिन भगवान शिव के दिए त्रिशूल से उसका वध कर दिया. यही वजह है कि जिसके चलते देवी माँ को नौ दिनों तक पूजने के बाद दशमी को उनका विसर्जन किया जाता है

वहीं, अगर इस दिन रावण दहन के पीछे की मान्यता की बात करें, तो इसी भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की जीत स्थापित की थी. यही कारण है कि दशमी के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है. इसी त्योहार को दशहरा या विजयदशमी के नाम से जाना जाता है.