भारत एक फूलों के गुलदस्ते की तरह है। जिस प्रकार फूलों के गुलदस्ते में अलग-अलग रंग के फूल होते हैं, उसी प्रकार से भारत में भी कई प्रकार की जाति, धर्म और संप्रदाय के लोग रहते हैं। यही इस देश की पहचान है। इसी विविधता का एक जीवंत उदाहरण मुजफ्फरपुर का मनियारी मठ है।
मुजफ्फरपुर स्थित मनियारी मठ देश का एक ऐसा मंदिर है, जहां हिन्दू धर्म में पूजे जाने वाले राधा–कृष्ण के साथ सिख धर्म के गुरु ग्रंथ साहिब की भी पूजा होती है। मंदिर में एक ओर जहां राधा– कृष्ण का मंदिर है, वहीं मंदिर के एक कक्ष में गुरु ग्रंथ साहिब भी विराजमान है।

सिख धर्म से जुड़ी निराली पांडुलिपि भी है मौजूद
मनियारी मठ की देखरेख करने वाले अधिकारियों का कहना है कि यह बेहद प्राचीन मठ है। यहां गांव के संत मनीराम की जिंदा समाधि भी है। इसके साथ ही मठ परिसर में राधा-कृष्ण का मंदिर है। मंदिर में रोजाना पूजा-पाठ होती है। कहा जाता है कि इन सबके साथ ही मंदिर में एक अनोखी पांडुलिपि भी रखी है, जिसका संबंध सिख धर्म से है। सिख धर्म का यह ग्रंथ मंदिर परिसर में ही रखा हुआ है। इसको लेकर मान्यता है कि यह गुरु नानक देव जी ने मनियारी में आकर स्वयं लिखा था। साथ ही यह ग्रंथ सिख संप्रदाय के लिए बेहद पूजनीय है। इसे गुरुमुखी भाषा में लिखा गया है।
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मनियारी मठ में हजारों साल पुराना ग्रंथ
मुजफ्फरपुर के इस मनियारी मठ में इस दुर्लभ गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा और पूजा के लिए एक युवक की तैनाती की गई है। हर धर्म का सम्मान करना ही हिंदुत्व है। ऐसे में उनके लिए गर्व की बात है कि उन्हें गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा करने का मौका मिलता है। यहां के पंडित कहते हैं कि उन्हें गुरुमुखी भाषा तो नहीं आती जो पढ़कर बता सके कि ग्रंथ में क्या लिखा है? लेकिन यह गुरु ग्रंथ साहिब निश्चित ही मानवता का पाठ लोगों को पढ़ाने के लिए लिखा गया होगा। यह हजारों साल पहले का ग्रंथ है, जिसे मनियारी मठ में सहेज कर रखा गया है।