भगवान शिव का निवास स्थान कैलाश पर्वत को माना जाता है, जो काफी ठंडा क्षेत्र है. ऐसे में धतूरा शरीर को गर्मी देने में मदद करता है.
वैज्ञानिकों की माने तो, अगर सीमित मात्रा में धतूरा का इस्तेमाल किया जाए तो ये औषधि के रूप में काम करता है.
शिव पुराण में कथित है, समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल को पी लेने से भोलेनाथ व्याकुल रहने लगे थे.
जिसके बाद सभी ऋषियों ने मिलकर भांग, धतूरा और बेल पत्र से शिव के लिए औषधि बनाई थी.
तभी से शिव जी को धतूरा प्रिय है. मान्यता है कि जो भी भक्त भोलेबाबा को धतूरा अर्पित करते है, उनसे बाबा प्रसन्न होते है.