रामायण काल से जुड़ा है लखनऊ का कोनेश्वर महादेव मंदिर, यहां शिवलिंग खुद बदलती है अपना स्थान!

रामायण काल से जुड़ा है लखनऊ का कोनेश्वर महादेव मंदिर, यहां शिवलिंग खुद बदलती है अपना स्थान!

Shiv Mandir in Lucknow: सावन का महीना देवो के देव महादेव का माना जाता है. इस महीने में लाखों की संख्या में शिव भक्तों की भीड़ शिवालयों में लगी रहती है. ये महीना भक्तों के लिए बहुत खास होता है. जिसमें भक्त बाबा का अपने-अपने भक्ति भाव से पूजा करते हैं. देशभर में भोलेनाथ के बहुत सारे चमत्कारी मंदिर हैं. जिसमें से एक लखनऊ शहर में स्थित है. ये महादेव का एक ऐसा मंदिर है, जिसका इतिहास रामायण काल से जुड़ा है और भगवान शिवलिंग के रूप में मंदिर के कोने में विराजमान हैं. इस विशेषता ने इसे भक्तों के लिए बहुत आकर्षक बना दिया है.

मंदिर के पुजारियों का कहना है कि कोनेश्वर महादेव मंदिर लक्ष्मण जी के द्वारा आदि गंगा गोमती नदी के तट पर बनाया गया था. लक्ष्मणपुरी जो आज लखनऊ के नाम से जानी जाती है. यहीं गोमती नदी के तट पर कौण्डिन्य ऋषि का आश्रम था. जिनका उल्लेख काफी प्राचीन धर्मग्रंथों में मिलता है.

शिवलिंग ने नहीं बदला अपना स्थान

पुजारी ने बताया कि किसी भी मंदिर में शिवलिंग बीच में होता है. लेकिन यहां पर बाबा कोने में विराजमान हैं. कहा जाता है कि कई बार भक्तों और पुजारियों ने बीच में भगवान की शिवलिंग को स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन शिवलिंग अपना स्थान बदलकर पुराने स्थान पर स्वयं वापस आ जाती थी. कौण्डिन्य ऋषि द्वारा आश्रम में स्थापित शिवलिंग को कौण्डिन्येश्वर महादेव के नाम से जाना गया. जो अब सरल भाषा में कोनेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध है.

जल चढ़ाने से होता है कल्याण

हर सोमवार को मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. जिसमें दूर-दराज से लोग शिवलिंग का जलाभिषेक करने आते हैं. कहते हैं जो भी भक्त 40 दिन नियमानुसार शिवलिंग पर जलाभिषेक करता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है. मंदिर में भगवान शिव के अलावा और भी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है.