Somvar ka Vrat: जानें सावन के पहले सोमवार का महत्व और पूजन विधि

जानें सावन के पहले सोमवार के मायनें और पूजन विधि

इस साल सावन अधिक मास का है. यानि कि इस साल का सावन एक महीना का नहीं, बल्कि दो महीना का होने जा रहा है. हिंदु धर्म में सावन के दौरान इसके हर सोमवार को व्रत रखने की परंपरा चलती आ रही है. कहा जाता है कि जो व्यक्ति सावन के सोमवार को सच्चे मन से व्रत रखके भगवान भोलेनाथ की सच्ची भक्ति करता है, तो भोलेनाथ और माता पार्वती उससे प्रसन्न होकर उसे मनचाहा वरदान देते है. आपको बता दें कि इस साल के सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई को पड़ रहा है. आइए जानते है सावन के पहले सोमवार के विधि-विधान और शुभ मुहुर्त के बारे में.

जानें सावन के पहले सोमवार के मायनें और पूजन विधि

सावन में सोमवार का विशेष महत्व-

सोमवार और शिवजी का आपस में संबंध है. जिसके कारण माता पार्वती ने सोलह सोमवार के उपवास रखें थे. कहा जाता है कि सावन का सोमवार विवाह और संतान की समस्याओं के लिए काफी फलदायी है. शिव को समर्पित सावन का पूरा महीना जप, तप और ध्यान के लिए उत्तम है. सावन में सोमवार का अधिक महत्व होता है. सोमवार चंद्र ग्रहण का दिन होता है और चंद्रमा के नियंत्रक भगवान शिव को माना जाता है. इस कारण इस दिन पूजा और व्रत करने से चंद्रमा के साथ-साथ भगवान शिव का भी आशीर्वाद मिलता है. सावन के हर सोमवार को भगवान शिव की पूरे विधि-विधान के साथ आराधना करने से मनुष्य के तमाम मुश्किलें और दुख नष्ट हो जाते है.

सावन के सोमवार में पूजा का महत्व-

सावन के सोमवार में शिव जी की पूजा काफी फलदायी होती है. किसी भी मनुष्य के जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा और रुकावट के चलते भगवान भोलेनाथ की आराधना करने से उसके सारे संकट नष्ट हो जाएंगे. सावन के सोमवार में शिवजी की पूजा सर्वोत्तम होती है. इसमें मुख्य रुप से शिवलिंग की पूजा की जाती है. साथ ही, शिवलिंग पर जल के साथ बेलपत्र अर्पित करना काफी शुभ माना जाता है.

जानें सावन के पहले सोमवार के मायनें और पूजन विधि

पूजन विधि-

सावन के सोमवार के दिन ब्रह्म मुहुर्त में उठकर स्नानादि कर शिवजी के मंदिर जाएं. मंदिर घर से नंगे पैर जाए और साथ में एक लोटे में जल भरकर ले जाएं. मंदिर में जाकर वही जल शिवजी को अर्पित करें. भगवान को साष्टांग करें. वहीं खड़े होकर 108 बार शिव मंत्र का जाप करें. दिन में केवल फल खाएं. शाम होते ही भगवान के मंत्रों का फिर से जाप करें और उनकी आरती करें. अगले दिन पहले अन्न वस्त्र का दान करें फिर जाकर व्रत पारायण करें.