जानें क्या है भोलेनाथ पर बेलपत्र चढ़ाने का सही नियम और तरीका!

जाने क्या है भोलेनाथ पर बेलपत्र चढ़ाने का सही नियम और तरीका !

भोलेनाथ पर बेलपत्र चढ़ाने का सही नियम और तरीका: सावन मास का आगाज़ हो चुका है. सावन भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे खास महीना माना जाता है. ऐसे में भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाना काफ़ी शुभ माना जाता है. भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र अतिप्रिय है क्योंकि यह भोलेनाथ को शीतलता देता है. इसलिए चाहे सावन मास हो, सावन सोमवार हो या फिर भोलेनाथ का कोई प्रिय दिन हो, हर रोज भोलेनाथ को बेलपत्र अर्पित करना काफी शुभ होता है.

बिना बेलपत्र के भगवान भोलेनाथ की कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है. क्या आप भी भोलेनाथ को बेलपत्र उल्टा चढ़ाते हैं? क्या आप जानते हैं कि बेलपत्र को तोड़ने के नियम होते हैं और शिव को बेलपत्र चढ़ाने की एक विधि होती है. चलिए जानते हैं इन सबके बारे में विस्तार से.

जाने क्या है भोलेनाथ पर बेलपत्र चढ़ाने का सही नियम और तरीका !

 शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका

जब भी आप भगवान शिव की पूजा करने जाएं तो शिवजी की शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से पहले उसे अच्छे से साफ कर लें और साफ पानी से धो लें. उसके बाद उस बेलपत्र की चिकनी सतह को शिवलिंग से स्पर्श कराकर उसे भगवान को अर्पित करें. इसके साथ ऊँ नमः शिवाय का उच्चारण अवश्य करें.

बेलपत्र चढ़ाने का नियम

जब भी आप शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए बेलपत्र लाएं तो इस बात का खास ख्याल रखें कि उस बेलपत्र में 3 पत्तियां हो. साथ ही वह पत्तियां बिल्कुल साबुत हो. उनमें कहीं भी दाग-धब्बे या छेद न हो और न ही वह पत्तियां मुरझाई हुई हो. शिवलिंग पर बेलपत्र 1, 5, 11 या 21 की संख्या में चढ़ाया जाता है. अगर आपके पास बेलपत्र नहीं है तो आप शिवलिंग पर पहले से चढ़े बेलपत्र को धोकर दोबारा से चढ़ा सकते हैं.

जाने क्या है भोलेनाथ पर बेलपत्र चढ़ाने का सही नियम और तरीका !

बेलपत्र चढ़ाते समय करें इन मंत्रों का उच्चारण

  • दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम्‌ पापनाशनम्‌।
    अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥
  • अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्‌।
    कोटिकन्या महादानं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌॥

बेलपत्र तोड़ने का नियम

जाने क्या है भोलेनाथ पर बेलपत्र चढ़ाने का सही नियम और तरीका !

यदि आप शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए बेलपत्र तोड़ रहे हैं तो सबसे पहले आप बेल वृक्ष को प्रणाम करें, उसके बाद बेलपत्र तोड़े. महीने की शुरुआत और समापन की तिथि के बीच कभी बेलपत्र न तोड़े. खासतौर पर अष्टमी, नवमी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या और सोमवार के दिन बेलपत्र बिल्कुल नहीं तोड़ना चाहिए.

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