हिन्दू पूजा के दौरान क्यों शुभ माना जाता हैं लाल रंग का धागा ?

लाल रंग का धागा

जब हम मंदिर या किसी धार्मिक स्थान पर जाते हैं या घर में पूजा करते हैं, तो हमारे हाथ की कलाई में लाल धागा, जिसे कलावा कहते हैं, बांधा जाता है। क्या आपको पता है कि कलावे का इतना महत्व क्यों है? आइए समझते हैं इसके महत्व को।

किसी पूजा में कलावा बांधना जरूरी माना जाता है। इसे एक रक्षासूत्र की तरह देखा जाता है। इसका लाल रंग हमें सभी बाधाओं और परेशानियों से लड़ने की शक्ति देता है। ज्योतिष के अनुसार, पूजा तभी पूर्ण मानी जाती है जब सभी लोगों के हाथों में कलावा बंधा हो। यह धागा हमें नकारात्मक शक्तियों से बचाने में मदद करता है।

कलावे से जुड़ी पौराणिक मान्यता

कलावा बांधने की परंपरा बहुत पुरानी है। इसके पीछे कई कारण हैं। कई प्राचीन कहानियों में बताया गया है कि इन्द्रदेव ने अपने दुश्मनों पर विजय पाने के लिए कलावा का इस्तेमाल किया। उन्होंने अपने हाथ में कलावा बांधकर अपने शत्रुओं को हराया। एक मान्यता यह है कि जब राजा-महाराजा युद्ध पर जाते थे, तो उनकी रानियाँ उनके हाथों में कलावा बांधती थीं। वे उनसे सुरक्षा का वादा लेतीं और भगवान से जीत की प्रार्थना करतीं। इसी वजह से कलावा को रक्षासूत्र के रूप में अपनाया गया।

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कलावा बांधने का महत्व

हिंदू शास्त्रों और ज्योतिष के अनुसार, कलाई में लाल रंग का कलावा बांधने से दैवीय शक्ति मिलती है। यह धागा कलाई की नसों से ऊर्जा को पूरे शरीर में फैलाने में मदद करता है, जिससे शरीर हमेशा सक्रिय रहता है। पूजा के बाद कलावा बांधने से ईश्वर का आशीर्वाद और कृपा भी मिलती है। इसलिए, लाल रंग का यह धागा शरीर और मस्तिष्क के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा, यह हमारे आस-पास के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा भी लाता है।

कलावा लाल रंग का ही क्यों होता है?

ज्योतिष के अनुसार, जब हम किसी धार्मिक स्थान पर जाते हैं या महत्वपूर्ण काम के लिए घर से निकलते हैं, तो हाथ में लाल रंग का धागा होना चाहिए। कलाई पर लाल रंग के कलावे के अलावा अन्य रंगों के धागे भी बांधे जाते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग लाल धागा ही पहनते हैं। इसका कारण यह है कि लाल रंग को सबसे शुभ माना जाता है। यह हमारे चक्रों को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा, मान्यता है कि लाल रंग पहनने से कुंडली का मंगल ग्रह मजबूत होता है। मंगल ग्रह का शुभ रंग लाल है, इसलिए लाल कलावा पहनने से सेहत भी बेहतर रहती है।

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किस हाथ में बांधना चाहिए कलावा?

पुरुषों और महिलाओं को कलावा अलग-अलग हाथों में बांधना चाहिए। पुरुष अपने दाहिने हाथ में कलावा पहनें, जबकि महिलाएं इसे अपने बाएं हाथ में बांधें। कलावा 40 दिनों तक पहनना जरूरी है। इसके अलावा, हर कुछ समय बाद कलावे को बदलते रहना चाहिए।

इसे बांधने के वैज्ञानिक तर्क

कलावा बांधने के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण दोनों हैं। आयुर्वेद के अनुसार, हमारे शरीर में तीन दोष होते हैं: वात, पित्त, और कफ। इन त्रिदोषों का असंतुलन स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है। कलावा बांधने से कलाई की नसें इन दोषों को संतुलित करने में मदद करती हैं। इससे शरीर में संतुलन बना रहता है और विभिन्न बीमारियों से बचने में सहायता मिलती है। इसी वजह से पूजा के समय कलावा बांधने की सलाह दी जाती है।