बोलने से पहले एक बार जरूर सोचें, इस वक्त माँ सरस्वती बैठती हैं जिहवा पर

दिन में कब बैठती है देवी सरस्वती जीब पर !

माँ सरस्वती को ज्ञान और वाणी की देवी कहा जाता है. वाणी यानि कि शब्द और बोली. विद्या के लिए माँ सरस्वती का आशीर्वाद लेना काफी शुभ माना जाता है. अक्सर आपने अपने घर में बुजुर्गों को यह कहते सुना होगा कि जब भी बोलो सोच-समझकर बोलो. वो लोग ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि माता सरस्वती दिन में एक बार जरूर व्यक्ति की जीभ पर आकर बैठती है. जिसके बाद वो हर एक शब्द सच हो जाता है, जो व्यक्ति के जुबान से निकलता है. इसलिए जब काफी लोग किसी बात को लेकर कुछ उल्टा बोलते हैं तो वो भी सच हो जाता है. जिसे काली जुबान बोलते हैं. अब आपके मन में यह ख्याल आ रहा होगा कि माँ सरस्वती किस समय हमारे जीभ पर बैठती होगी. चलिए जानते हैं.

दिन में कब बैठती है देवी सरस्वती जीब पर !

इस समय होता है मां सरस्वती का वास

जीवन में सफलता के लिए वाणी, बुद्धि और ज्ञान का अच्छा दोना बेहद जरुरी है. इन तीनों गुणों की देवी माता सरस्वती को कहा जाता है. कहते हैं कि जिस पर मां सरस्वती मेहरबान हो जाए, वह जीवन में आसमान की ऊंचाइयों को छूने में कामयाबी हासिल करता है. सनातन धर्म में ब्रह्म मुहुर्त को सबसे शुभ माना जाता है. सुबह 3 बजे के बाद और सुर्योदय से पहले के समय को ब्रह्म मुहुर्त कहते हैं.

शास्त्रों के अनुसार, सुबह 3ः20 मिनट से 3ः40 मिनट के बीच मां सरस्वती व्यक्ति की जुबान पर बैठती हैं. इस समय बोली गई हर एक बात सच हो जाती है. बुजुर्गों के अनुसार, इंसान की वाणी में कभी भी कटुता नहीं होनी चाहिए. खासकर बताए गए समय पर काफी सोच-समझकर बोलना चाहिए. क्योंकि आपकी बोली गई बात खुद के साथ ओरों को भी नुकसान पहुँचा सकती है.

छात्र करें इस मंत्र का जाप

मां सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा जाता है. इसलिए खासतौर पर छात्रों को मां सरस्वती की आराधना जरुर करनी चाहिए और अपने लिए तेज बुद्दि का वरदान मांगना चाहिए. बच्चों के तेज मानसिक विकास के लिए ओम् ऐं ह्रीं क्लीं मां सरस्वती देव्यै नमः मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए.

त्रिदेवी में एक-मां सरस्वती

हिंदु धर्म में माता लक्ष्मी, माता पार्वती और माता सरस्वती को त्रिदेवियों के रुप में पहचाना जाता है. जिनमें से मां लक्ष्मी को धन का प्रतीक माना जाता है और माता सरस्वती को ज्ञान का भंडार कहा जाता है और माँ पार्वती को सौंदर्य की देवी के रूप में पूजा जाता है।

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